लखनऊ :मां की ममता और उसके प्यार को शब्दों में पिरोने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राना का रविवार की रात निधन हो गया. रात करीब 11 बजे लखनऊ के पीजीआई में उन्होंने अंतिम सांस ली. वह 9 जनवरी से ही यहां भर्ती थे. उससे पहले दो दिन तक वह लखनऊ के ही मेदांता अस्पताल में भी भर्ती थे. वह काफी समय से किडनी रोग से जूझ रहे थे. सोमवार को ऐशबाग स्थित कब्रिस्तान में उनको अंतिम विदाई दी गई. इस दौरान फिल्म जगत के साथ ही कई राजनीतिक हस्तियां भी उनको आखिरी विदाई देने पहुंचीं. पीएम मोदी ने भी ट्वीट कर मशहूर शायर के निधन पर शोक जताया है.
रायबरेली में हुआ था जन्म, अधिकांश जीवन कोलकाता में बीता :मुनव्वर राना की कविताओं की सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह थी कि वह अपने नज्मों में मां का सम्मान करते हैं. मुनव्वर राना का जन्म 1952 में उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना अधिकांश जीवन कोलकाता में बिताया. उसके बाद वो लखनऊ आ गए और हुसैनगंज लालकुआं के पास एक फ्लैट में रहने लगे. वह हिंदी और अवधी शब्दों का प्रयोग करते थे. फारसी और अरबी से परहेज करते थे. यह उनकी कविता को भारतीय दर्शकों के लिए सुलभ बनाता था. गैर-उर्दू क्षेत्रों में आयोजित कवि सम्मेलनों में उनकी लोकप्रियता काफी थी. मुनव्वर राना ने कई गजलें लिखीं, उनकी लिखने की एक अलग शैली है. उनके अधिकांश शेरों (दोहों) में उनके प्रेम का केंद्र बिंदु मां है. उनकी कई उर्दू गजलों का अंग्रेजी में अनुवाद तपन कुमार प्रधान ने किया है.
सप्ताह में तीन बार होती थी डायलिसिस :बेटी सुमैया राना ने बताया गया कि हफ्ते में तीन बार उनकी डायलिसिस होती थी. वह क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित थे. पिछले दिनों डायलिसिस के लिए गए थे, उसके बाद अचानक से चेस्ट पेन हुआ. चेकअप हुआ था. फेफड़ों में ज्याद पानी निकला और निमोनिया हो गया था. इस कारण सांस लेने में उन्हें दिक्कत हो रही थी. बेटी सुमैया राना ने बताया कि पिता को गॉल ब्लैडर की भी परेशानी थी. वे मई 2023 में डायलिसिस के लिए हॉस्पिटल गए थे तो वहां पर उन्हें पेट दर्द हुआ, सीटी स्कैन करवाने पर गॉल ब्लैडर की रोग का पता चला. उन्होंने उसकी सर्जरी भी करवाई, इसके बावजूद तकलीफ बनी रही और स्वास्थ्य में विशेष सुधार नहीं दिखा. रात 11 बजे लखनऊ पीजीआई में उन्होंने अंतिम सांस ली.
सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर मुखर रहते थे राणा
मुनव्वर राना देश के जाने-माने शायर थे. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कर और माटी रतन सम्मान से भी नवाजा जा चुका है. पिछले काफी समय से वह सत्ता विरोधी बयानबाजियों को लेकर भी सुर्खियों में रहे. हिंदी, अवधी, उर्दू के शायर और कवि मुनव्वर राना की काफी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था. हालांकि देश में असहिष्णुता का आरोप लगाते हुए उन्होंने अवॉर्ड वापस लौटा दिया था. वह सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर मुखर रहते थे.
अंतिम यात्रा में शामिल हुईं जानी-मानी हस्तियां