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मशहूर शायर मुनव्वर राना का निधन, अंतिम यात्रा में पहुंचीं नामचीन हस्तियां, पीएम मोदी ने भी जताया शोक

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 15, 2024, 6:17 AM IST

Updated : Jan 15, 2024, 5:09 PM IST

मशहूर शायर मुनव्वर राना का रविवार की देर रात लखनऊ के पीजीआई में निधन (Munawwar rana passed away) हो गया. वह काफी समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे.

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लखनऊ :मां की ममता और उसके प्यार को शब्दों में पिरोने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राना का रविवार की रात निधन हो गया. रात करीब 11 बजे लखनऊ के पीजीआई में उन्होंने अंतिम सांस ली. वह 9 जनवरी से ही यहां भर्ती थे. उससे पहले दो दिन तक वह लखनऊ के ही मेदांता अस्पताल में भी भर्ती थे. वह काफी समय से किडनी रोग से जूझ रहे थे. सोमवार को ऐशबाग स्थित कब्रिस्तान में उनको अंतिम विदाई दी गई. इस दौरान फिल्म जगत के साथ ही कई राजनीतिक हस्तियां भी उनको आखिरी विदाई देने पहुंचीं. पीएम मोदी ने भी ट्वीट कर मशहूर शायर के निधन पर शोक जताया है.

रायबरेली में हुआ था जन्म, अधिकांश जीवन कोलकाता में बीता :मुनव्वर राना की कविताओं की सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह थी कि वह अपने नज्मों में मां का सम्मान करते हैं. मुनव्वर राना का जन्म 1952 में उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना अधिकांश जीवन कोलकाता में बिताया. उसके बाद वो लखनऊ आ गए और हुसैनगंज लालकुआं के पास एक फ्लैट में रहने लगे. वह हिंदी और अवधी शब्दों का प्रयोग करते थे. फारसी और अरबी से परहेज करते थे. यह उनकी कविता को भारतीय दर्शकों के लिए सुलभ बनाता था. गैर-उर्दू क्षेत्रों में आयोजित कवि सम्मेलनों में उनकी लोकप्रियता काफी थी. मुनव्वर राना ने कई गजलें लिखीं, उनकी लिखने की एक अलग शैली है. उनके अधिकांश शेरों (दोहों) में उनके प्रेम का केंद्र बिंदु मां है. उनकी कई उर्दू गजलों का अंग्रेजी में अनुवाद तपन कुमार प्रधान ने किया है.

सप्ताह में तीन बार होती थी डायलिसिस :बेटी सुमैया राना ने बताया गया कि हफ्ते में तीन बार उनकी डायलिसिस होती थी. वह क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित थे. पिछले दिनों डायलिसिस के लिए गए थे, उसके बाद अचानक से चेस्ट पेन हुआ. चेकअप हुआ था. फेफड़ों में ज्याद पानी निकला और निमोनिया हो गया था. इस कारण सांस लेने में उन्हें दिक्कत हो रही थी. बेटी सुमैया राना ने बताया कि पिता को गॉल ब्लैडर की भी परेशानी थी. वे मई 2023 में डायलिसिस के लिए हॉस्पिटल गए थे तो वहां पर उन्हें पेट दर्द हुआ, सीटी स्कैन करवाने पर गॉल ब्लैडर की रोग का पता चला. उन्होंने उसकी सर्जरी भी करवाई, इसके बावजूद तकलीफ बनी रही और स्वास्थ्य में विशेष सुधार नहीं दिखा. रात 11 बजे लखनऊ पीजीआई में उन्होंने अंतिम सांस ली.

सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर मुखर रहते थे राणा

मुनव्वर राना देश के जाने-माने शायर थे. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कर और माटी रतन सम्मान से भी नवाजा जा चुका है. पिछले काफी समय से वह सत्ता विरोधी बयानबाजियों को लेकर भी सुर्खियों में रहे. हिंदी, अवधी, उर्दू के शायर और कवि मुनव्वर राना की काफी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था. हालांकि देश में असहिष्णुता का आरोप लगाते हुए उन्होंने अवॉर्ड वापस लौटा दिया था. वह सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर मुखर रहते थे.

अंतिम यात्रा में शामिल हुईं जानी-मानी हस्तियां

मशहूर शायर मुनव्वर राना के निधन पर उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने कई जानी-मानी हस्तियां भी शामिल हुईं. इसमें सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, मशहूर गीतकार जावेद अख्तर, शायर तारिक कमर, शायर तरन्नुम नाज फतेहपुरी, शायर फैज अब्बास, नदवा के प्रवक्ता मौलाना आफताब समेत हजारों प्रशंसक अपने चहेते शायर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे.

ये मिल चुके हैं पुरस्कार

1993 में रईस अमरोहवी पुरस्कार, रायबरेली पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
1995 में, दिलकुश पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
1997 में सलीम जाफरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
2004 में सरस्वती समाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
2005 में गालिब उदयपुर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

2006 में कविता के कबीर सम्मान उपाधि, इंदौर से सम्मानित किया गया.
2011 में पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी द्वारा मौलाना अब्दुल रज्जाक मलिहाबादी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
2014 में उन्हें भारत सरकार द्वारा उर्दू साहित्य के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

उपल्बिधयों के बीच उन्होंने एक लाइव टीवी शो पर 18 अक्तूबर 2015 को साहित्य अकादमी पुरस्कार को वापस लौटा दिया. भविष्य में किसी भी सरकारी पुरस्कार को स्वीकार न करने का ऐलान किया था.

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