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मुंबई के नायर अस्पताल ने कोरोना प्रभावित 1001वीं गर्भवती की कराई डिलीवरी - बीएमसी

मां और बच्चे का रिश्ता इस दुनिया में सबसे नजदीकी है. मां अपने गर्भ में बच्चे को नौ महीने तक पालती है और सबसे कठिन प्रसव पीड़ा को सहन करने के बाद वह बच्चे को जन्म देती है. लेकिन कोरोना वायरस ने मुंबई में तबाही मचा दी है और कई गर्भवती माताओं को संक्रमण हो गया है. इसलिए वे नवजात शिशु को अपना दूध नहीं पिला सकती हैं.

Mumbais
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Published : May 5, 2021, 12:02 AM IST

मुंबई :कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी कराना काफी मुश्किल काम है. कोरोना के समय में भी नायर अस्पताल ने कोरोना प्रभावित माताओं और नवजात शिशुओं के लिए सुरक्षित स्वर्ग के रूप में काम किया है. बीएमसी के हॉस्पिटल में इन कोरोना प्रभावित माताओं और शिशुओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है.

इस उद्देश्य के लिए एक विशेष वार्ड, ऑपरेशन थियेटर बनाया गया है. यहां 1022 कोरोना प्रभावित माताओं ने शिशुओं को सुरक्षित प्रसव कराया. उनमें से 19 जुड़वां थे और एक मामले में यह ट्रिपल था. कोरोना पॉजिटिव और संगरोध रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बीएमसी ने कोरोना रोगियों के उपचार के लिए अधिकांश अस्पतालों, मातृत्व घरों का अधिग्रहण किया है. चूंकि गर्भवती माताओं के इलाज के लिए कोई मातृत्व घर उपलब्ध नहीं था इसलिए बीएमसी को बाल प्रसव की बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा.

अंत में इसने नायर अस्पताल को विशेष कोरोना अस्पताल घोषित किया और बच्चों के लिए एक विशेष वार्ड स्थापित किया. मुंबई में गर्भवती मां को इस वार्ड में भेजा जाता है. एक दिन में दो से तीन महिलाएं बच्चे को जन्म देती हैं. जरूरत पड़ने पर बाल वितरण और ऑपरेशन के लिए अलग वार्ड बनाए गए हैं. हाल ही में एक सिजेरियन भी किया गया है.

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डॉक्टरों द्वारा ऑपरेशन के लिए आवश्यक सावधानी बरती जा रही है. नवजात शिशुओं को अपनी माताओं से प्रभावित होने से बचाने के लिए, शिशुओं को तुरंत संगरोध में ले जाया जाता है. मास्क, हैंड सैनिटाइजेशन आदि के इस्तेमाल सहित हर दो घंटे के बाद बच्चे को दूध पिलाने के लिए उसकी मां को सौंपने से पहले सभी सावधानियां बरती जाती हैं.

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