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परमबीर का विवादों से पुराना नाता, दो दिनों में दो मामले दर्ज

मुंबई पुलिस के विवादास्पद आईपीएस अधिकारी के खिलाफ पिछले दो दिनों में वसूली से जुड़े दो मामले दर्ज कराए गए हैं. इससे पहले भी उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं. परमबीर उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने महाराष्ट्र के गृह मंत्री पर 100 करोड़ वसूली के आरोप लगाए थे. परमबीर और विवादों का पुराना रिश्ता रहा है. आइए इस पर एक नजर डालते हैं.

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पुलिस अधिकारी परमबीर सिंह, महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख

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Published : Jul 23, 2021, 4:58 PM IST

हैदराबाद : मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ पिछले दो दिनों में वसूली के दो मामले दर्ज हो चुके हैं. आज एक बिल्डर के रिश्तेदार ने वसूली के आरोप लगाए हैं. इसके अनुसार परमबीर सिंह ने उससे दो करोड़ रुपये की जबरन वसूली की और उसकी जमीन अपने नाम करा लिए. आरोपियों की सूची में संजय पुनमिया, सुनील जैन, मनोज घटकर और मनेरे समेत कुछ छह लोगों के नाम शामिल हैं.

शुक्रवार को ठाणे के कोपरी पुलिस स्टेशन में यह मामला दर्ज कराया गया है. एक दिन पहले गुरुवार को मरीन ड्राइव पुलिस थाने में मामला दर्ज हुआ था.

इसके अनुसार परमबीर सिंह, पांच अन्य पुलिस कर्मियों तथा दो अन्य लोगों के विरूद्ध एक बिल्डर ने उसके खिलाफ मामले को वापस लेने के एवज में 15 करोड़ रूपये की कथित रूप से मांग किए जाने के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी.

परमबीर सिंह उस वक्त पूरे देश की सुर्खियां बन गए थे, जब उन्होंने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ की वसूली के गंभीर आरोप लगाए थे. इस आरोप के बाद देशमुख को इस्तीफा देना पड़ गया.

इस मामले के बाद परमबीर सिंह के खिलाफ कई मामले दर्ज हुए. महाराष्ट्र सरकार ने परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से हटाकर होमगार्ड डीजी बना दिया. कथित तौर पर एंटीलिया केस को ठीक से हैंडल नहीं करने की बात बताई गई थी.

मुंबई पुलिस के एक इंस्पेक्टर अनूप डांगे ने परमबीर सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. उसके आरोप के आधार पर परमबीर के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है. राज्य की सीआईडी और अन्य एजेंसियां इन मामलों की जांच कर रहीं हैं.

वैसे परमबीर सिंह का विवादों से पुराना संबंध रहा है. आइए इस पर एक नजर डालते हैं.

परमवीर सिंह मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं. वह 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं.

ममता कुलकर्णी को बनाया था आरोपी

परमवीर सिंह पहली बार उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने ड्रग्स रैकेट मामले में अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को आरोपी बनाया था. उनके पति भी आरोपी थे. इस मामले से जुड़ी जानकारी के लिए अमेरिका से एफबीआई की टीम मुंबई आई थी. तब परमवीर ठाणे के पुलिस कमिश्नर हुआ करते थे.

एनकाउंटर टीम में थे शामिल

नब्बे के दशक में परमवीर सिंह को मुंबई पुलिस के स्क्वॉड टीम का हिस्सा बनाया गया था. स्क्वॉड टीम एनकाउंटर करने के लिए जानी जाती है. परमवीर ने इस दौरान चर्चित डॉन अरुण गवली के इलाके में कई ऑपरेशन को अंजाम दिया था. अंडरवर्ल्ड से जुड़े कई मामलों में उनकी भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं.

साध्वी प्रज्ञा मामला

भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने परमवीर सिंह पर फर्जी तरीके से कथित भगवा आतंकी मामले में फंसाने का आरोप लगाया था. ठाकुर ने मीडिया को बताया था कि परमवीर ने जुर्म कबूलने के लिए उन पर काफी अत्याचार किए थे. 13 दिनों तक अवैध हिरासत में रखा. इस दौरान उन्हें बार-बार प्रताड़ित किया गया था. तब परमवीर मुंबई एटीएस में थे.

प्रज्ञा ने एक मीडिया चैनल को बताया था कि मुंबई पुलिस के दो वरिष्ठ अधिकारी परमवीर सिंह के साथ आए थे. उनसे मालेगांव धमाके में शामिल होने की बात कबूलने को कहा. ऐसा न करने पर उन्हें धमकी दी गई थी.

अजीत पवार मामला

मुंबई पुलिस प्रमुख बनाए जाने से पहले परमवीर सिंह भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) प्रमुख थे. उन पर आरोप लगा कि उन्होंने अजीत पवार को क्लीन चिट दे दी. पवार सिंचाई परियोजनाओं से जुड़े एक मामले में आरोपी थे. मामला विदर्भ सिंचाई विकास निगम से जुड़ा था.

मुंबई हमला

मुंबई हमले (26 नवंबर 2008) के दौरान लापरवाही बरतने के आरोप में परमवीर के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी. आरोप था कि उन्हें वरीय अधिकारी की सलाह को नजरअंदाज किया. इसकी वजह से हमले में कई लोग मारे गए. उनकी लापरवाही की वजह से दो आतंकियों को जिंदा नहीं पकड़ा जा सका. याचिका में मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर हसन गफूर के बयान का जिक्र किया गया था.

सुशांत सिंह राजपूत मामला

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या मामले में परमबीर सिंह की भूमिका पर कई सवाल उठे थे. अंतिम संस्कार जल्दी कराए जाने को लेकर संदेह उत्पन्न हुआ था. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर सुशांत के परिवार वालों ने सवाल उठाए थे. बिहार पुलिस जब इस मामले से जुड़ी जानकारी हासिल करने आई, तो उनके अधिकारी को क्वारंटीन करवा दिया गया. बिहार पुलिस के साथ कोई भी सूचना साझा नहीं की गई थी. बिहार के तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने इसे संदिग्ध मामला बताया था.

टीआरपी स्कैम

परमवीर सिंह ने मुंबई पुलिस आयुक्त रहते हुए दावा किया था कि टीआरपी स्कैम में रिपब्लिक मीडिया शामिल है. कुछ और चैनलों के नाम लिए गए थे. रिपब्लिक मीडिया ने दावा किया था कि राजनीतिक इशारे पर उन पर आरोप लगाए गए.

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