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Mumbai Municipal Corporation: '88 हजार करोड़ रुपये की जमा राशि तोड़ना है लूट' - म्युनिसिपल मजदूर यूनियन मुंबई का आरोप

देश के सबसे अमीर नगर निगम के तौर पर जाना जाने वाला मुंबई नगर निगम इस समय कई कारणों से चर्चा में है. मुंबई नगर निगम की 88 हजार करोड़ रुपये की जमा राशि खास चर्चा का विषय बनी हुई है. हालांकि इन जमातियों पर मौजूदा सरकार की नजर है और नगर मजदूर यूनियन ने आरोप लगाया है कि यह जनता के पैसे की लूट है. आम आदमी पार्टी ने राय व्यक्त की है कि इस तरह के फैसले लेना अनुचित है.

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Published : Feb 10, 2023, 10:26 PM IST

Mumbai Municipal Corporation
मुंबई नगर निगम

मुंबई: मुंबई नगर निगम सबसे अमीर नगर निगम है. इस निगम के पास 88 हजार करोड़ रुपए जमा हैं. नगर निगम इस जमा रकम के माध्यम से अपने मामलों का प्रबंधन करता है. मुंबई नगर निगम ने इस साल 52 हजार करोड़ रुपए का बजट पेश किया है. इस बजट में प्रदान की गई कुछ परियोजनाओं के लिए नगर निगम की एफडी से 15 हजार करोड़ रुपये का उपयोग करने का प्रस्ताव है.

कोस्टल रोड के लिए 3,545 करोड़, गोरेगांव मुलुंड लिंक रोड के लिए 1,600 करोड़ और सीवेज प्रोजेक्ट के लिए 2,792 करोड़ का इस्तेमाल मुंबई नगर निगम के प्रस्तावित कार्यों के लिए किया जाएगा. नगर निगम इस कोष का उपयोग ऐसी परियोजनाओं के लिए करने का प्रस्ताव करता है. इस बीच नगर निगम कई अन्य परियोजनाओं के लिए कर्ज लेने को तैयार है और इसके लिए नगर निगम ने करीब 6,000 करोड़ रुपये का आंतरिक कर्ज लेने का प्रस्ताव दिया है.

मुंबई नगर निगम ने 2017 से जकात कर का संग्रह बंद कर दिया है. इस कर संग्रह के बदले में राज्य सरकार को प्रति माह 880 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की उम्मीद है. लेकिन राज्य सरकार से यह मुआवजा कब तक मिलेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है. ऐसे में जरूरी है कि नगर निगम अपने दम पर सक्षम हो. इनमें नगर निगम संपत्ति कर, सहायक अनुदान जैसे अन्य मामलों में करीब सात हजार करोड़ रुपये बकाया हैं.

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इस मुंबई नगर निगम ने अब तक 88 हजार करोड़ रुपये की जमा राशि जमा की है और यह राशि बढ़ती जा रही है, क्योंकि इस जमा रकम के माध्यम से नियोजित कार्य किया जा रहा है. इसमें से अब तक 75 फीसदी कर्मचारियों के वेतन और 25 फीसदी विकास कार्यों पर खर्च किया जाता है. हालांकि, पिछले वर्ष में उचित योजना के कारण, पूंजीगत व्यय बढ़कर 52% हो गया है, जबकि राजस्व व्यय बढ़कर 48% हो गया है.

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