नई दिल्ली : शीर्ष अदालत (supreme court) ने बृहस्पतिवार को तमिलनाडु और केरल को सुझाव दिया कि 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध के ढांचागत सुरक्षा से जुड़े मामले को सुलझाने का काम पर्यवेक्षी समिति (सुपरवाइजरी कमेटी) पर छोड़ा जा सकता है. न्यायालय ने कहा कि इस समिति को और ताकतवर बनाया जा सकता है. केरल ने कहा कि नए बांध के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए. इस पर शीर्ष अदालत ने पाया कि केरल द्वारा उठाये गए मामले पर चर्चा की जा सकती है. इस ममाले का समाधान पर्यवेक्षी समिति कर सकती है, जो इस मामले में सिफारिश भी कर सकती है. साथ ही शीर्ष अदालत ने 29 मार्च तक इस पर राज्यों से जवाब मांगा है.
केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर वर्ष 1895 में बने मुल्लापेरियार बांध से संबंधित मुद्दों को उठाने वाली दलीलों पर न्यायमूर्ति एएम खानविलकर (Justice AM Khanwilkar) की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की. पीठ ने कहा कि व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक 'समग्र दृष्टिकोण' अपनाया जाना चाहिए और एक व्यापक उपाय किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, 'अभी तक के अनुभव यही बताते हैं कि अब भी मतभेद है, पार्टियों के बीच अब भी गलत संचार है और हर जगह सुरक्षा के मुद्दे को लेकर आशंका है. तो क्यों न पर्यवेक्षी समिति को ही वह काम करने दें, जिसे आपसे करने की अपेक्षा की जाती है.'