वाराणसी: अवधेश राय की हत्या 32 साल पहले हुई थी. तीन अगस्त 1991 को अवधेश राय को सरेआम गोलियों से भून दिया गया था. इस मामले में एमपी एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दोषी करार दे दिया है. मुख्तार अंसारी के राजनीतिक और माफियागिरी के सफर की बात करें तो कई रोचक बातें सामने आ जाती हैं. जैसे सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मुख्तार अंसारी की जितनी उम्र है उन पर उतने ही मुकदमे दर्ज हैं.
मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को हुआ था. वर्तमान में वह 60 साल के होने वाले हैं. बस 25 दिन शेष हैं. उन पर दर्ज मुकदमों को देखा जाए तो उनकी संख्या 61 है. मुख्तार अंसारी का नाम पूर्वांचल के बाहुबलियों में टॉप पर गिना जाता है. राजनीतिक सफर की बात करें तो मुख्तार अंसारी पहली बार 1996 में मऊ के सदर विधानसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे और विधायक बने थे. इसके बाद उन्होंने बसपा छोड़ दी और 2002 निर्दल प्रत्याशी के रूप विधायकी का चुनाव जीता. 2007 में भी निर्दलीय चुनाव लड़ा और विधायक बने थे.
इसके बाद 2012 में मुख्तार अंसारी ने कौमी एकता दल का गठन किया और फिर चुनाव में जीत हासिल की. 2014 के लोकसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी ने वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. इसमें उनको जीत तो हासिल नहीं हुई लेकिन उन्होंने अपना दम जरूर दिखाया था. इस चुनाव के बाद 2017 में मुख्तार अंसारी ने कौमी एकता दल का बसपा में विलय कर दिया था. देखा जाए तो मुख्तार अंसारी ने 1996, 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में मऊ से लगातार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी.
बात जब उनकी माफियागिरी की आती है तो सबसे ज्यादा नाम उनका गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ क्षेत्र में रहा है. इन जिलों के अलग-अलग थानों में कुल 61 मुकदमे दर्ज मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज हैं. इनमें 8 मुकदमे ऐसे हैं जो जेल में रहते हुए दर्ज किए गए थे. इनमें से अधिकांश मामले हत्या से ही जुड़े हैं और सबसे ज्यादा मुकदमे गृह जिले गाजीपुर के हैं.