नई दिल्ली : केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने शनिवार को कहा कि महिलाओं की स्वतंत्रता, सम्मान, सशक्तिकरण एवं संवैधानिक समानता पर 'तालिबानी सोच और सनक' हिंदुस्तान में नहीं चलेगी.
उन्होंने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा आयोजित 'अल्पसंख्यक दिवस' कार्यक्रम में यह टिप्पणी उस वक्त की है, जब हाल ही में लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल करने के सरकार के फैसले का समाजवादी के सांसदों शफुर्करहमान बर्क एवं एसटी हसन तथा कुछ अन्य लोगों ने विरोध किया है.
नकवी ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि कभी तीन तलाक की कुप्रथा को रोकने के लिए कानून बनाने का विरोध, कभी मुस्लिम महिलाओं को 'मेहरम' (नजदीकी पुरुष रिश्तेदार) के साथ ही हज यात्रा की बाध्यता खत्म करने पर सवाल और अब लड़कियों की शादी की उम्र के मामले में संवैधानिक समानता पर बवाल करने वाले लोग संविधान की मूल भावना के 'पेशेवर विरोधी' हैं. उन्होंने जोर देकर कहा 'महिलाओं की स्वतंत्रता, सम्मान, सशक्तिकरण एवं संवैधानिक समानता पर तालिबानी सोच और सनक हिंदुस्तान में नहीं चलेगी.'
उनके मुताबिक, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के राजनीतिक छल' को 'समावेशी सशक्तिकरण के राष्ट्रवादी बल' से मोदी सरकार ने ध्वस्त किया है. भारतीय अल्पसंख्यकों की 'सुरक्षा, समावेशी समृद्धि एवं सम्मान', 'संवैधानिक संकल्प' और भारतीय समाज की 'सकारात्मक सोच' का नतीजा है. भारत के बहुसंख्यक समाज की सोच, अपने देश के अल्पसंख्यकों की 'सुरक्षा और सम्मान के संस्कार एवं संकल्प' से भरपूर है.