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देश में तेजी से बढ़ रहा है म्यूकोर्मिकोसिस का खतरा, 45,000 से अधिक मामले

देशभर में कोरोना वायरस के साथ ही अब ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है. अब तक कई राज्यों को ब्लैक फंगस अपनी चपेट में ले चुका है. देश में ब्लैक फंगस के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. ब्लैक फंगस आमतौर पर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों और मधुमेह से पीड़ित लोगों में देखी जाती है. इस दुर्लभ संक्रमण का इलाज बेहद जटिल है.

म्यूकोर्मिकोसिस
म्यूकोर्मिकोसिस

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Published : Jul 20, 2021, 4:26 PM IST

नई दिल्ली :राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 15 जुलाई तक म्यूकोर्मिकोसिस (mucormycosis) के कुल 45,432 मामले (total of 45432 cases) सामने आए हैं, जिनमें से 21,085 प्रभावित लोगों का इलाज चल रहा है और 4,252 लोगों की मौत हो चुकी है. राज्यसभा को मंगलवार (Rajya Sabha was informed) को इसकी जानकारी दी गई.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Union Health Minister Mansukh Mandaviya) ने लिखित में बताया कि बड़ी संख्या में म्यूकोर्मिकोसिस रोगियों (presentations of mucormycosis) (84.4 प्रतिशत) ने कोविड-19 (COVID-19) के इतिहास की सूचना दी थी.

उन्होंने बताया कि म्यूकोर्मिकोसिस की सबसे आम प्रस्तुतियों में गैंडा (Rhinocerebral) (77.6 प्रतिशत), त्वचीय (Cutaneous) (4.3 प्रतिशत) और पल्मोनरी (Pulmonary) (3.0 प्रतिशत) शामिल हैं. कोविड-19 की दूसरी लहर (second wave of COVID-19) के मद्देनजर, म्यूकोर्मिकोसिस के मामलों की संख्या में वृद्धि हुई और स्वास्थ्य मंत्रालय ने पूरी तरह से अंतराल विश्लेषण और परामर्श के बाद समस्या के समाधान के लिए कई कदम उठाए.

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म्यूकोर्मिकोसिस (Mucormycosis) और अन्य फंगस संक्रमणों (fungal infections) को आमतौर पर एक अवसरवादी संक्रमण (opportunistic infection) के रूप में देखा जाता है. वे कम अंतर्निहित प्रतिरक्षा (underlying immunity) वाले लोगों में पाए जाते हैं या तो मधुमेह, कैंसर विशेष (cancers particularly) रूप से हेमेटोलॉजिकल विकृतियों (hematological malignancies)आदि के कारण होते हैं या फिर कोविड​​​​-19 सहित अन्य विकारों के प्रबंधन के लिए स्टेरॉयड, इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं जैसी कुछ दवाओं के लंबे समय तक/तर्कहीन उपयोग के दुष्प्रभाव के रूप में भी हो सकते हैं.

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