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रामानुजाचार्य जैसे संतों ने सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित राष्ट्र की अवधारणा का निर्माण किया : कोविंद - golden statue of saint ramanuja

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने कहा कि रामानुजाचार्य जैसे संतों, कवियों और दार्शनिकों ने देश की सांस्कृतिक पहचान, सांस्कृतिक निरंतरता और सांस्कृतिक एकता का निर्माण और पोषण किया है.

President Ram Nath Kovind
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

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Published : Feb 13, 2022, 7:11 PM IST

Updated : Feb 13, 2022, 10:20 PM IST

हैदराबाद : हैदराबाद में 11वीं सदी के संत रामानुजाचार्य की सहस्राब्दि जयंती समारोह (Ramanujacharya's Millennium Birth Anniversary Celebrations) में शामिल होने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा कि संत-कवियों और दार्शनिकों ने सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित राष्ट्र की अवधारणा का निर्माण किया है. इससे पहले राष्ट्रपति ने 216 फीट की समानता मूर्ति और 108 वैष्णव मंदिरों के दर्शन किए.

मुचिन्तल में रामानुजाचार्य सहस्राब्दी का भव्य समारोह 12वें दिन चल रहा है. राष्ट्रपति ने स्वर्ण प्रतिमा के अनावरण पर प्रसन्नता व्यक्त की है और लोगों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि भविष्य में मुचिन्तल आध्यात्मिक स्थल बनेगा. श्रीराम नगरम अद्वैत और समानता के केंद्र के रूप में चमकेगा. कोविंद ने कहा कि राष्ट्र की यह संस्कृति-आधारित अवधारणा पश्चिमी विचारों में परिभाषित तरीके से भिन्न है. सदियों पहले एक सूत्र में भारत को एकजुट करने वाली भक्ति परंपरा के संदर्भ पुराणों में पाए जाते हैं.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को समर्पित की 'स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी'

उन्होंने कहा कि इस परंपरा को रामानुजाचार्य से प्रेरित भक्ति संप्रदाय के रूप में देखा जा सकता है, जोकि तमिलनाडु के श्रीरंगम और कांचीपुरम से उत्तर प्रदेश के वाराणसी तक फैला. इस प्रकार भारतीयों की भावनात्मक एकता सदियों पुरानी है. कोविंद ने कहा कि रामानुजाचार्य का विशिष्टाद्वैत न केवल दर्शन में एक योगदान है, बल्कि रोजमर्रा के जीवन में भी इसकी प्रासंगिकता को दर्शाता है.

राष्ट्रपति ने कहा कि जिसे पश्चिम में दर्शनशास्त्र कहा जाता है, वह केवल अध्ययन के विषय में सिमट गया है. हालांकि, जिसे हम दर्शन कहते हैं, वह केवल शुष्क विश्लेषण का विषय नहीं बल्कि दुनिया और जीवन को देखने का एक तरीका भी है. भारत में यह हमेशा प्रासंगिक रहा है, जिसके लिए रामानुजाचार्य जैसे दार्शनिक-संतों का आभार. उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय के पक्ष में खड़े रहे बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर ने साफ तौर पर कहा था कि देश के आधुनिक गणराज्य के मौलिक संवैधानिक आदर्श भारत की सांस्कृतिक विरासत पर आधारित हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि आंबेडकर ने भी रामानुजाचार्य के समतावादी आदर्शों का पूरे सम्मान के साथ उल्लेख किया था.

उन्होंने कहा कि इस प्रकार, समानता की हमारी अवधारणा पश्चिमी देशों से नहीं ली गई है. यह भारत की सांस्कृतिक मिट्टी में विकसित हुई है. वसुधैव कुटुम्बकम का हमारा दृष्टिकोण समानता पर आधारित है. समानता हमारे लोकतंत्र की आधारशिला है. इससे पहले तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने बेगमपेट में हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति की अगवानी की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच फरवरी को शहर के बाहरी इलाके में रामानुजाचार्य की 216 फुट ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी' का अनावरण किया था.

यह भी पढ़ें- 'स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी' संत रामानुजाचार्यजी के ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक : PM मोदी

राष्ट्रपति ने कहा कि रामानुजाचार्य ने समाज में असमानता को मिटाने के प्रयास किए थे. उन्होंने मंदिरों में निचली जातियों को अनुमति दी थी. रामानुजाचार्य ने लोगों में समानता फैलाई थी. रामानुजाचार्य ने लोगों के बीच भक्ति और समानता के लिए काम किया और अपने संदेशों से देश के कई हिस्सों को प्रेरित किया. रामानुजाचार्य का महात्मा गांधी पर भी प्रभाव था. उन्होंने टिप्पणी की है कि भारत में भक्ति का मार्ग दक्षिण से उत्तर की ओर जाता है.

Last Updated : Feb 13, 2022, 10:20 PM IST

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