नई दिल्ली : कांग्रेस ने आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) द्वारा खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि को मंजूरी दिए जाने के बाद इसे किसानों के साथ विश्वासघात करार देते हुए गुरुवार को दावा किया कि सरकार अन्नदाताओं की उपज को समर्थन मूल्य पर नहीं खरीद रही है. इसके साथ ही उसने आरोप लगाया कि लागत बढ़ाकर किसानों की आमदनी को आधा कर दिया गया है.
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, 'एक बार फिर मोदी सरकार ने खरीफ फसलों के 2022-23 के समर्थन मूल्य घोषित करने में देश के किसानों के साथ घोर विश्वासघात किया है. किसान की आमदनी बढ़ाना तो दूर, किसान का दर्द सौ गुना बढ़ा दिया है.' उन्होंने दावा किया कि एक तरफ सरकार पर्याप्त मात्रा में फसल नयूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नहीं खरीद रही है, वहीं दूसरी ओर लागत बढ़ाकर किसानों की आमदनी को आधा कर दिया है.
उनके मुताबिक, हाल ही में रिजर्व बैंक ने बताया कि देश में महंगाई की दर 6.7 प्रतिशत होकर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. दूसरी ओर सरकार ने खरीफ फसलों के जो समर्थन मूल्य जारी किए हैं, वह उस महंगाई दर की वृद्धि से भी कम है. सुरजेवाला ने एमएसपी से जुड़ा एक चार्ट जारी करते हुए कहा, 'सामान्य तौर पर केंद्र सरकार गेहूं और धान समर्थन मूल्य पर खरीदती है, बाकी समर्थन मूल्य के लिए घोषित फ़सलों में नाम मात्र की खरीद की जाती है.'
उनका कहना है कि एनएसएसओ ने हाल ही में जारी रिपोर्ट में बताया था कि किसानों की औसत आमदनी 27 रुपये प्रतिदिन रह गई है और औसत कर्ज 74,000 रुपये हो गया है. मोदी सरकार को किसानों से सरोकार है तो सिर्फ समर्थन मूल्य घोषित करने की औपचारिकता का छलावा करने की अपेक्षा वह समर्थन मूल्य का कानून बनाए.