नई दिल्ली : न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों की फसल की अनिवार्य खरीद हो, इसके लिए एमएसपी गारंटी कानून (MSP Guarantee law) की मांग कर रहे देश भर के किसान संगठन एक बार फिर दिल्ली पहुंचे हैं. इस बार वह किसी प्रदर्शन या आंदोलन के लिए नहीं बल्कि एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा (MSP guarantee kisan morcha) के बैनर तले तीन दिवसीय अधिवेशन में हिस्सा लेने आए हैं (Farmers Convention in delhi). इस अधिवेशन की विशेष बात यह है कि इस बार नई दिल्ली की बजाय इसके लिए बाहरी दिल्ली देहात का गांव पंजाब खोड़ चुना गया है. यहां खेतों में टेंट लगाकर इस कार्यक्रम को आयोजित किया जा रहा है.
किसान नेता सरदार वीएम सिंह की अगुवाई में इस अधिवेशन में हिस्सा लेने के लिए देश के 25 राज्यों से किसान प्रतिनिधि दिल्ली पहुंचे हैं. ये तीन दिन तक खेत में ही रहेंगे और यहीं से सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने का काम करेंगे. इनकी एक और सबसे प्राथमिक मांग है एमएसपी गारंटी कानून. संयोजक वीएम सिंह ने अधिवेशन के पहले दिन 'ईटीवी भारत' से विशेष बातचीत में बताया कि लगभग तीन हजार किसान प्रतिनिधि पहुंच चुके हैं. दो सौ के आस पास किसान संगठन हैं जो एक बार फिर लामबंद होकर एक साथ इस मांग को उठाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि 2024 के चुनाव से पहले सरकार को इस कानून को ले आना चाहिए क्योंकि यह बहुत पुरानी मांग है. देश के सभी किसान यही चाहते हैं कि उन्हें उनके फसल का वाजिब दाम मिले. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब उन्होंने स्वयं मुख्यमंत्रियों की कमेटी के अध्यक्ष होने के नाते देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समक्ष ये मांग लिखित में रखी थी कि एमएसपी को अनिवार्य कर देना चाहिए. आज जब वह स्वयं प्रधानमंत्री के पद पर हैं तो वह इस काम को कर सकते हैं लेकिन नहीं कर रहे.
वीएम सिंह ने कहा कि सितंबर 2020 में जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ उनकी बैठक हुई थी तब भी उन्होने यही मांग रखी थी. लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी नहीं सुनी, अब समय आ गया है कि किसान एक बार फिर अपनी मांग के लिए एकजुट होकर प्रयास करें.