नई दिल्ली : केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर चर्चा (MSP Discussion) होने के सकारात्मक संकेत मिले हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने एमएसपी पर चर्चा (MSP Discussion) के लिए एसकेएम से पांच नाम (MSP discussion skm to provide names) देने को कहा है.
गौरतलब है कि कृषि कानूनों की वापसी का एलान होने के बाद से किसान संगठन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी (MSP guarantee) का कानून बनाए.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सोनीपत-कुंडली बॉर्डर पर हुई किसान संगठनों की बैठक के बाद किसान नेता सतनाम सिंह ने बताया है कि सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से एमएसपी के संबंध में बात करने के लिए पांच नाम मांगे हैं.
उन्होंने बताया कि 32 जत्थेबंदियों की बैठक में यह फैसला हुआ कि सरकार ने हमारी मांगें मान ली हैं. सतनाम सिंह ने बताया कि किसानों पर दर्ज मामलों के संबंध में हरियाणा के मुख्यमंत्री के साथ बैठक की सहमति बनी है. उन्होंने कहा कि सीएम खट्टर के साथ बैठक के दौरान किसान नेता किसानों पर दर्ज मुकदमों के संबंध में बात करेंगे.
हरियाणा भाजपा प्रमुख ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा है कि सरकार किसानों के साथ सभी मुद्दों पर चर्चा को लेकर सकारात्मक है. मीडिया रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी के संबंध में प्रस्ताव भेजा है.
बता दें कि कृषि कानूनों को निरस्त (farm law repeal) करने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर ने लोक सभा में विधेयक पेश किए. विपक्ष केहंगामे के बीच लोक सभा से विधेयक पारित हो गए. संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा ने विपक्ष के हंगामे के बीच तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 (Farm Laws Repeal Bill 2021) को बिना चर्चा के ही मंजूरी प्रदान कर दी. इसके बाद राज्य सभा से भी कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयकों को मंजूरी दे दी थी.
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संसद से विधेयकों के पारित होने के बाद किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा था कि इस बिल के वापस होने का श्रेय मृत सात सौ किसानों को जाता है. उन्होंने कहा कि जिन सात सौ किसानों की मृत्यु हुई उनको ही इस बिल के वापस होने का श्रेय जाता है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price-MSP) भी एक बीमारी है. सरकार व्यापारियों को फसलों की लूट की छूट देना चाहती है. किसानों के हक के लिए आंदोलन जारी रहेगा.
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