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MSP Discussion : सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से नाम मांगे

केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चर्चा (MSP Discussion) करने के लिए तैयार हो गई है. मीडिया रिपोर्ट में इसके संकेत मिले हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से पांच नाम देने को कहा (MSP discussion skm to provide names) है. इन्हें एमएसपी पर बनने वाली कमेटी में शामिल किया जा सकता है.

skm ians file photo
संयुक्त किसान मोर्चा

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Published : Nov 30, 2021, 6:54 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर चर्चा (MSP Discussion) होने के सकारात्मक संकेत मिले हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने एमएसपी पर चर्चा (MSP Discussion) के लिए एसकेएम से पांच नाम (MSP discussion skm to provide names) देने को कहा है.

गौरतलब है कि कृषि कानूनों की वापसी का एलान होने के बाद से किसान संगठन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी (MSP guarantee) का कानून बनाए.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सोनीपत-कुंडली बॉर्डर पर हुई किसान संगठनों की बैठक के बाद किसान नेता सतनाम सिंह ने बताया है कि सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से एमएसपी के संबंध में बात करने के लिए पांच नाम मांगे हैं.

उन्होंने बताया कि 32 जत्थेबंदियों की बैठक में यह फैसला हुआ कि सरकार ने हमारी मांगें मान ली हैं. सतनाम सिंह ने बताया कि किसानों पर दर्ज मामलों के संबंध में हरियाणा के मुख्यमंत्री के साथ बैठक की सहमति बनी है. उन्होंने कहा कि सीएम खट्टर के साथ बैठक के दौरान किसान नेता किसानों पर दर्ज मुकदमों के संबंध में बात करेंगे.

हरियाणा भाजपा प्रमुख ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा है कि सरकार किसानों के साथ सभी मुद्दों पर चर्चा को लेकर सकारात्मक है. मीडिया रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी के संबंध में प्रस्ताव भेजा है.

बता दें कि कृषि कानूनों को निरस्त (farm law repeal) करने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर ने लोक सभा में विधेयक पेश किए. विपक्ष केहंगामे के बीच लोक सभा से विधेयक पारित हो गए. संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा ने विपक्ष के हंगामे के बीच तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 (Farm Laws Repeal Bill 2021) को बिना चर्चा के ही मंजूरी प्रदान कर दी. इसके बाद राज्य सभा से भी कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयकों को मंजूरी दे दी थी.

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संसद से विधेयकों के पारित होने के बाद किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा था कि इस बिल के वापस होने का श्रेय मृत सात सौ किसानों को जाता है. उन्होंने कहा कि जिन सात सौ किसानों की मृत्यु हुई उनको ही इस बिल के वापस होने का श्रेय जाता है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price-MSP) भी एक बीमारी है. सरकार व्यापारियों को फसलों की लूट की छूट देना चाहती है. किसानों के हक के लिए आंदोलन जारी रहेगा.

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न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ईटीवी भारत ने हरियाणा के कुछ किसान नेताओं से बातचीत की थी. इनका कहना है कि आंदोलन का सर्वोपरि मुद्दा शुरुआत से ही एमएसपी गारंटी कानून होनी चाहिये थी लेकिन कानून वापसी को सबसे ऊपर रखा गया और अब सरकार ने कृषि कानून वापसी (Farm Laws Repeal Bill) कर प्रचार शुरू कर दिया कि उन्होंने किसानों की बात मान ली. अखिल हरियाणा न्यूनतम समर्थन मूल्य समिति के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप धनखड़ कहते हैं कि एमएसपी आज से नहीं बल्कि वर्षों से किसानों के लिये बड़ा मुद्दा रहा है.

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बता दें कि गत 19 नवंबर को पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को निरस्त करने का एलान किया था. उन्होंने कहा था कि शीतकालीन सत्र में कानूनों को सरकार वापस लेगी. राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की. उन्होंने देशवासियों से माफी भी मांगी. पीएम ने कहा कि इस महीने के अंत में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू कर देंगे.

इसके बाद तीन कृषि कानूनों को रद्द करने से संबंधित विधेयकों को बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी थी. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया था कि कैबिनेट बैठक में कृषि कानूनों को औपचारिक रूप से वापस लेने का निर्णय लिया गया है. अगले हफ्ते में संसद की कार्यवाही शुरू होगी, वहां पर दोनों सदनों में कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा.

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एक सवाल के जवाब में ठाकुर ने कहा कि संसद में भी इस कार्य (तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने) को प्राथमिकता के आधार पर लिया जायेगा. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के कार्य को हमने पूरा कर लिया है और संसद को जो करना है, उस दिशा में काम को हम सत्र के पहले हफ्ते और पहले दिन से ही आरंभ करेंगे.

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गौरतलब है कि तीन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के आंदोलनकारी किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर तीन जगहों पर बैठे हैं. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक वे वापस नहीं जाएंगे.

(एजेंसी इनपुट)

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