मुंबई : महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) से जुड़े धनशोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए यहां की एक विशेष अदालत ने कहा कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार के करीबी सहयोगियों ने एक चीनी सहकारी समिति की संपत्ति औने-पौने दाम पर हासिल की. विशेष न्यायाधीश एम. जी. देशपांडे ने बुधवार को पारित आदेश में आरोपपत्र, उसके साथ जमा दस्तावेजों और गवाहों के बयानों पर गौर करने के बाद कहा कि यह आपराधिक गतिविधि से अपराध की कमाई का एक उत्कृष्ट उदाहरण दिखाता है और यह धन शोधन रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपराध है. अदालत ने सभी आरोपियों को 19 जुलाई को खुद या अपने वकील के माध्यम से पेश होने का निर्देश देते हुए कहा कि इसलिए, सभी आरोपियों के खिलाफ प्रक्रिया (समन) जारी करने का निर्देश देने के लिए ठोस और प्रथम दृष्टया पर्याप्त आधार हैं.
ईडी ने इस साल अप्रैल में तीन आरोपियों गुरु कमोडिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, जरांदेश्वर शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड और चार्टर्ड अकाउंटेंट योगेश बागरेचा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. इस मामले में अजित पवार को आरोपी नहीं बनाया गया है. विशेष अदालत ने बागरेचा सहित दोनों कंपनियों को उनके तत्कालीन तथा वर्तमान निदेशकों के माध्यम से समन जारी किया. अदालत ने कहा कि अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार 2004-2008 तक आरोपी कंपनी के निदेशकों में से एक थीं. सुनेत्रा पवार एमएससीबी के निदेशक मंडल की पूर्व सदस्य थीं। सभी आरोपी कंपनियां एक ही समूह से हैं जिनके निदेशक भी समान हैं.
अदालत ने कहा, "जरांदेश्वर एस. एस. के. लिमिटेड की गिरवी रखी संपत्ति को पुणे जिला केंद्रीय सहकारी बैंक तथा अन्य बैंकों द्वारा दिए गए 826 करोड़ रुपये के ऋण से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि जरांदेश्वर एस. एस. के. की संपत्ति अजित पवार के करीबी सहयोगियों द्वारा औने-पौने दाम पर हासिल की गई थी." यह मामला सहकारी चीनी मिल और सहकारी सूत गिरनिस में कथित घोटाले से संबंधित है. बैंक में कथित अनियमितताओं को लेकर बंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर होने के बाद मामले की जांच शुरू की गई. मामला आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज किया गया था, जिसके बाद ईडी ने भी 2019 में कथित धन शोधन का मामला दर्ज किया.