नई दिल्ली:दिल्ली के जंतर-मंतर पर सोमवार को किसान संसद का आखिरी दिन था. सत्र का समापन महिला किसान संसद के साथ हुआ और पुरुष किसान नेता इस दौरान बतौर निरीक्षक मौजूद रहे. आंदोलनरत मोर्चा के तमाम ध्यानाकर्षण के प्रयासों के बावजूद भी सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच गतिरोध बरकरार ही रहा. इस दौरान देश के कृषि मंत्री ने किसानों के संसद को निरर्थक भी करार दे दिया.
'ईटीवी भारत' ने किसान संसद के समापन पर किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल से बातचीत की. राजेवाल ने केंद्रीय कृषि मंत्री के बयान पर कहा कि देश की संसद में जो लोग चुन कर जाते हैं वह कॉर्पोरेट के लिये काम करने में व्यस्त हैं. किसान संसद को निरर्थक कहने वाले यह बताएं कि क्या वह जिस संसद में बैठे हैं वहाँ देश के लोगों के लिये काम कर रहे हैं ? राजेवाल ने आगे कहा कि इस किसान संसद में जिस तरह से पुरुष और महिला किसानों ने तीन कृषि कानून और खेती से जुड़े अन्य मुद्दों पर चर्चा की है उससे यह मिथक टूट गया है कि किसानों को इन कानूनों की समझ नहीं है.
किसान अब कानून को न केवल समझ रहे हैं, बल्कि चर्चा भी कर रहे हैं. हालांकि अब किसान संगठनों का एक और मोर्चा गठित हो चुका है जो कानूनों में संशोधन के लिए किसानों को सहमत करने में लगा है. किसान नेता वीएम सिंह राष्ट्रीय किसान मोर्चा के संयोजक हैं जिनकी अगुआई में 125 किसान संगठन चार संशोधन के साथ तीन कृषि कानूनों को स्वीकार करने की बात कह चुके हैं. एमएसपी पर अनिवार्य खरीद के लिए कानूनी प्रावधान इनकी पहली शर्त है जिसके बाद वह सरकार से बातचीत करेंगे.