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Published : Sep 28, 2022, 10:10 PM IST

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MP Corrupt Officers भ्रष्टाचार पर शिव'राज' में जीरो टॉलेरेंस, कथनी- करनी में फर्क, जानें 193 भ्रष्टों पर क्यों मेहरबान है सरकार

भ्रष्टाचार के मामलों में उलझे आईएएस अधिकारियों से लेकर निचले स्तर तक के करीब 193 कर्मचारियों पर सरकार मेहरबान है. इनमें से कई अधिकारी कर्मचारियों पर करोड़ों के गबन के आरोप हैं तो, कई रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़े गए हैं. इन अधिकारी कर्मचारियों की सांठगांठ ऐसी है कि सालों बाद भी शासन ने इनके खिलाफ लोकायुक्त को प्रकरण पंजीबद्ध करने की स्वीकृति ही नहीं दी है. (MP Corrupt Officers) (Shivraj on Zero tolerance on corruption) (MP 193 corrupt officers)

MP 193 corrupt officers
193 अफसरों पर भ्रष्टाचार के मामले

भोपाल।प्रदेश सरकार भले ही भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने के दावे करती हो, लेकिन भ्रष्टाचार के मामलों में उलझे आईएएस अधिकारियों से लेकर निचले स्तर तक के करीब 193 कर्मचारियों पर सरकार मेहरबान है. इनमें से कई अधिकारी कर्मचारियों पर करोड़ों के गबन के आरोप हैं तो, कई रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़े गए हैं. अखबारों से लेकर टीवी तक में इनके चेहरे सामने आ चुके हैं. कई तो जांच के बाद निलंबित भी किए गए, लेकिन इनमें से ही कई अधिकारी अच्छी जगह पर ठाठ से नौकरी कर रहे हैं. सांठगांठ ऐसी कि सालों बाद भी शासन ने लोकायुक्त को प्रकरण पंजीबद्ध करने की स्वीकृति ही नहीं दी, लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है इसपर सरकार मौन है. खास बात है कि जिनकर भ्रष्टाचारियों पर सरकार मेहरबान है उनमें आईएएस से लेकर बाबू तक शामिल हैं. (MP Corrupt Officers) (Shivraj on Zero tolerance on corruption) (MP 193 corrupt officers)

MP 193 corrupt officers

लोकायुक्त को नहीं मिली कार्रवाई की अनुमति:कहा जाता है कि कानून सबसे के लिए बराबर होता है, लेकिन mp में कुछ लोगों पर यह कहावत फिट नहीं बैठती. जब मामला किसी बड़े अधिकारी या सफेदपोश या सांठगांठ में माहिर किसी व्यक्ति का आता है, तो जांच की रफ्तार कछुआ चाल से चलने लगती है. ऐसे ही स्थिति लोकायुक्त प्रकरणों के कई मामले में सामने आई है. भ्रष्टाचार और गड़बड़ी के मामलों की जांच में लोकायुक्त ने मामला दर्ज करने के लिए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सरकार से अभियोजन की स्वीकृति मांगी, लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी सरकार ने इसकी अनुमति ही नहीं दी. जिन लोगों के खिलाफ लोकायुक्त ने कार्रवाई की उनमें आईएएस से लेकर डिप्टी कलेक्टर और पटवारी स्तर तक के कर्मचारी शामिल हैं.

  • प्रदेश के विवादित अधिकारियों में शामिल रहे रमेश थेटे पर लोकायुक्त में 25 मामले पेंडिंग है.
  • सभी मामले 2013 में सीलिंग की 107 एकड़ जमीन वापस किसानों के नाम करने से जुड़े हैं. 2015 से ही सरकार ने अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी, जबकि इस बीच सरकार थेटे को बर्खास्त भी कर चुकी है.
  • तत्कालीन कलेक्टर अखिलेश श्रीवास्तव, तत्कालीन एडीएम मनोज माथुर, शिवपाल सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में 2019 से सरकार ने अभियोजन स्वीकृति नहीं मिली है.
  • छिंदवाड़ा के तत्कालीन एसडीएम फरतउल्ला खान, प्रवीण फुलगारे के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में 2020 से अभियोजन स्वीकृति नहीं मिली.
  • ग्वालियर के पूर्व आयुक्त विवेक सिंह के खिलाफ भी 2020 से अभियोजान स्वीकृति पेंडिंग है. इसी तरह सामान्य प्रशासन विभाग के 29 कर्मचारी अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए सरकार ने अभियोजन स्वीकृति अभी तक नहीं दी है.
  • राजस्व विभाग के 22, सहकारिता विभाग के 12, गृह विभाग के 5, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के 26, वन विभाग के 18, सामाजिक न्याय विभाग के 1, नगरीय विकास एवं आवास विभाग के 30, जनजातीय कार्य विभाग के 2, वाणिज्यिक कर विभाग के 8, वित्त विभाग के 2, महिला एवं बाल विकास विभाग के 5, पशुपालन विभाग के 2, स्कूल शिक्षा विभाग के 7, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के 6, संसदीय कार्य विभाग का एक, कृषि विभाग के 10, जल संसाधन विभाग के 6, पिछडा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के 2 कर्मचारी अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए सरकार अनुमति नहीं दे रही है.
  • इस तरह करीब 193 अधिकारियों पर सरकार मेहरबान है. जिनके मामलों में अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली है.

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कांग्रेस का सरकार पर हमला: भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन की स्वीकृति न देने को लेकर कांग्रेस शिवराज सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अजय यादव कहते हैं कि सरकार के संरक्षण में ही पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार प्रदेश में फैल रहा है. यही वजह है कि सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई ही नहीं होने देना चाहती. इनमें से कई अधिकारी, कर्मचारी मलाईदार पोस्ट पर काम कर रहे हैं. अजय यादव आरोप लगाते हैं कि सरकार सिर्फ जीरो टॉलरेंस की बात कर जनता को भ्रमित करने का काम करती है, जबकि यह सच्चाई है कि सरकार चाहती ही नहीं है कि ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जाए. इसलिए अभियोजन की स्वीकृति सालों से पेंडिंग हैं. (MP Corrupt Officers) (Shivraj on Zero tolerance on corruption) (MP 193 corrupt officers)

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