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सोशल मीडिया बना मसीहा: गुजरात से भिंड तक वायरल हुई तस्वीर ने 7 साल से खोये बेटे को बिछड़े परिवार से मिलाया, जानें पूरी कहानी..

Youth Reunited With Family: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सोशल मीडिया लोगों यह जीवन का हिस्सा बन चुका है, यही वजह है कि अकसर यही सोशल मीडिया लोगों से ठगी ऑनलाइन फ्रॉड वह तमाम आपराधिक घटनाओं की वजह बनता है. लेकिन आज के जमाने में सोशल मीडिया का एक अच्छा पहलू भी है, जिसने मध्यप्रदेश के भिंड जिले में रहने वाले एक गरीब परिवार को उसके 7 वर्ष पहले खोये हुए बेटे से मिला दिया. क्या है इस परिवार की कहानी और कैसे सोशल मीडिया इस परिवार के लिए मददगार साबित हुआ जानते हैं इस खास रिपोर्ट में.

youth reunited with family after seven years
सोशल मीडिया ने खोए बेटे को परिवार से मिलाया

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 8, 2023, 1:45 PM IST

सोशल मीडिया ने खोए बेटे को परिवार से मिलाया

भिंड।टेक्नोलॉजी जितनी तेजी से आगे बढ़ रही है, उसके दुरुपयोग का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. लोग फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी निजी जिंदगी की तस्वीरें शेयर करते हैं, अपने अनुभव लिखते हैं. ऐसे में कई बार हमने लोगों की आईडी हैक होकर उनके नाम से ऑनलाइन ठगी या खुद लोगों को ठगी और धोखाधड़ी का शिकार होते देखा है, सुना और पढ़ा है. लेकिन इसी सोशल मीडिया का एक और भी पहलू है, जो लोगों के लिए मददगार साबित होता है. नई जानकारियां, अपने करीबी लोगों से जुड़ी छोटी-छोटी बातें, हमें अक्सर इसी तरह के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए मिलती है. भिंड के मेहगांव में रहने वाले भोगीराम खटीक के परिवार को तो उनका खोया हुआ बेटा मिल गया, जो कई दिनों से गुजरात में भटक रहा था.

घर मोहल्ले में दिखाई दे रही खुशी की लहर:इस परिवार की कहानी जानने के लिए ETV भारत भी मेहगांव में उनके बीच पहुंचा तो पता चला कि 7 साल से गायब इन्दल खटीक आज ही लौटकर घर आ गया है. उसके लौटने की खुशी में पूरा परिवार और मोहल्ले के लोग उनके घर पर इकट्ठा थे, परिवारजनों ने अपने बिछड़े हुए बेटे से मिलने की खुशी में उसे फूल माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर अपना प्यार जताया. युवक इन्दल के पिता भोगीराम खटीक तो खुशी में बात भी नहीं कर पा रहे थे, जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने सिर्फ इतना बताया कि मेहगांव के एक पत्रकार ने उसके बारे में बताया था.

इतने साल बाद बेटे को वापस पाकर भावुक हुई मां: कहते हैं कि अगर कोई गुमशुदा व्यक्ति सात वर्षों तक घर वापस न लौटे या उसकी कोई खोज खबर ना मिले तो न्याय पालिका भी उसे मृत घोषित कर देती है, लेकिन उस परिवार और उस मां का क्या जिसके अपने कलेजे के बेटे का पता वर्षों तक नहीं चला हो. घरवालों ने तो इन्दल के लौटने की आस ही छोड़ दी थी. इन्दल की मां बादामी ने बताया कि उनका बेटा दिमागी रूप से थोड़ा कमजोर था, 7 साल पहले जब वह 21 वर्ष का था तो दशहरे के दो दिन बाद अचानक घर से गायब हो गया था. पूरे परिवार ने उसे ढूंढने की कोशिश की, पुलिस के पास भी गए लेकिन पुलिस ने आधार कार्ड ना होने के चलते रिपोर्ट तक नहीं लिखी. इन हालात में भी परिवार कई दिनों तक आस पास के गाँव और जिलों में उसकी तलाश करता रहा. लेकिन कोई सुराग नहीं लगा.

सात साल बाद हफ्ते भर पहले एक दिन अचानक उनके मोहल्ले में रहने वाले एक पत्रकार ने उनसे सम्पर्क किया, उन्हें तस्वीर दिखाई जो उनके बेटे की थी. पहचान होने पर पता चला कि उनका गुमशुदा बेटा गुजरात की एक सामाजिक संस्था के पास है, जो उसकी देखभाल कर रही है. इसके बाद परिवार के लोग गुजरात के कच्छ गए और अपने बेटे को अपने साथ लेकर अब घर वापस आ गए हैं. अपनी व्यथा और खुशी जाहिर करते करते इन्दल की मां भावुक हो गयीं.

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सोशल मीडिया के जरिए मिली तस्वीर बनी वापसी का सहारा:वहीं जब बिछड़े परिवार को मिलाने में अपनी भूमिका निभाने वाले पत्रकार प्रदीप चौधरी से भी हमने बात की तो उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक तस्वीर फॉरवर्ड होते-होते उनके ग्रुप पर आयी थी, जिसमें बताया गया था कि यह एक दिमागा से कमजोर युवक है और कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं है. युवक गुजरात के सामाजिक संगठन मानव ज्योत संस्था के पास ठहरा हुआ है, चूँकि वे उस बालक को जानते थे, बचपन से देखा था, इसलिए तुरंत घरवालों को बुलाकर तस्वीर दिखाई.

जब युवक के परिजनों ने इसकी पहचान कर ली तो इस संस्था से संपर्क किया और वीडियो कॉल पर बात कराई, इसके बाद परिवार के लोग कच्छ भुज जाकर अपने बेटे को घर वापस ले आए हैं. हालांकि दिमागी रूप से कमजोर होने के चलते वह यह नहीं बता पा रहा है कि बीते 7 साल वह कहां और किन परिस्थितियों में रहा या वहां कैसे पहुंचा. लेकिन गुजरात की सामाजिक संस्था ने काफी सहयोग किया और उसका ध्यान रखा अब वह अपने घर आ गया है.

गुजरात की सामाजिक संस्था ने कराया था इलाज:इस मामले में हमने संपर्क गुजरात की मानव ज्योत सामाजिक संगठन से भी किया तो इस संस्था के प्रेसिडेंट प्रबोध एच. मुनवर ने बताया कि "ये 28 साल का युवक सात साल पहले घर से गुम हुआ था, किस राज्य में था, कहां-कहां घूमता रहा, कुछ भी पता नहीं था. फिर आखिर में ये गुजरात के महुआ सौराष्ट्र में आया, जहां एक आश्रम में पहुंचा था. इसी दौरान वहां मानव ज्योत संगठन की सदस्य ऋतु बेन वर्मा उस आश्रम में मिली, इसके बाद वे इसे अपने साथ भुज ले आयीं थीं. जहां एक मनोचिकित्सालय में उसका इलाज भी कराया गया. साथ ही सोशल मीडिया में भी कुछ तस्वीरें वायरल की गई थीं, जिससे उसे जानने या पहचानने वाले तक वह तस्वीर पहुंच सके और ऐसा हुआ भी." ये कहना गलत नहीं होगा कि ये सोशल मीडिया की ताकत ही है जो दिखा रही है कि इसका दुरुपयोग ही नहीं, बल्कि सकारात्मक पहलू भी है.

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