जबलपुर। जिले के ग्रामीण अंचलों में लोग गंदा और मटमैला पानी पीने मजबूर है. सबसे हैरानी की बात यह है कि लोग जान जोखिम में डालकर ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों से लेकर बड़े और बुजुर्ग मुट्ठी भर पानी के लिए जतन करते नजर आ रहे हैं. गर्मियों के मौसम में लोटा भर पानी के लिए लोग न केवल कई किलोमीटर का सफर करने मजबूर हैं, बल्कि सूखे कुएं में नीचे उतरकर फूटने वाली झिर से पानी भरने की जद्दोजहद करते देखे जा सकते हैं. आदिवासी ग्रामीण ऐसे पानी से अपने कंठ तर रहे हैं, जिससे मवेशी भी मुंह फेर लेते हैं. हर साल गर्मी आते ही इस क्षेत्र में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है. जनप्रतिनिधियों से लेकर जनपद और जिला पंचायत के अफसर इस समस्या से लड़ने के लिए सिर्फ कागजों में ही प्लान और बैठकें करते हैं. परंतु धरातल में हकीकत कुछ और ही है, लेकिन यह सब पूरी गर्मी भर चलता रहता है. उसके बाद भी लोगों को पानी नहीं मिल पाता है. देखिए ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.
पानी की जद्दोजहद में जुटे ग्रामीण: दरअसल पानी को लेकर हम जो त्रासदी दिखाने जा रहे हैं, यह त्रासदी जबलपुर जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर नकटिया गांव की है. यहां के हालात और भी ज्यादा भयावह हैं. यहां 3 बजे से सुबह उठते ही लोग पानी की जद्दोजहद में जुट जाते हैं और अपनी जान जोखिम में डालकर सूखे कुएं में उतरते हैं और फिर बूंद-बूंद जुटाकर अपने बर्तनों में पानी भरकर घर लेकर जाते हैं. कई-कई बार तो लोगों को खाली बर्तन लेकर ही अपने घर लौटना पड़ता है. इन तस्वीरों को देखकर कोई भी हैरत में पड़ सकता है, क्योंकि शहरों में तो लोगों को साफ और शुद्ध पानी मिल जाता है, लेकिन जबलपुर के भीतरी और सुदूर अंचलों के गांव में ग्रामीण गंदा और मटमैला पानी पीने के लिए मजबूर हो रहे हैं. सरकार और प्रशासन की तमाम योजनाएं इन गांवों में आकर दम तोड़ जाती है. यही वजह है कि इन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को न तो जल जीवन मिशन जैसी सरकार की महत्वकांक्षी योजना का फायदा मिल रहा है और न ही नल जल जैसी योजनाओं के बारे में कभी इन्होंने सुना है. पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोगों को कितनी जद्दोजहद करनी पड़ रही है, इसे देखकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो सकते हैं, लेकिन न तो अधिकारियों को इससे वास्ता है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों को. यही वजह है कि आजादी के इतने साल बीतने के बावजूद भी जबलपुर के ग्रामीण अंचलों के हालात दिनों दिन भयावह होते जा रहे हैं, खासकर गर्मियों के मौसम में तो लोग अपनी जान जोखिम में डालकर लोटा भर पानी के लिए जी जान एक कर रहे हैं.
पानी को लेकर होता है विवाद: वहीं, स्थानीय निवासियों का कहना है कि ''जिस पानी को वह पी रहे हैं, वह हाथ धोने लायक भी नहीं है. लेकिन मजबूरी में गांव के लोग इस पानी को पीने पीने के लिए मजबूर हैं. कई बार पानी नहीं मिलने के कारण गांव के लोग भीषण गर्मी में भी दो से तीन दिन तक नहाते नहीं हैं. पानी के लिए वह सुबह 4 बजे उठकर कुएं के पास एक लोटा पानी के लिए जतन करते हैं. जहां बारी-बारी से नीचे कुएं में उतरकर लोटे से पानी भरते हैं और इसके बाद रस्सी से पानी ऊपर लेकर आते हैं. जिसके बाद उनको पीने का पानी नसीब होता है. कई बार पानी को लेकर लोगों में विवाद भी हो जाता है, लेकिन आज तक इस समस्या का हल नहीं निकला.'' ग्रामीणों का कहना है कि ''हम ऐसा पानी पी रहे हैं, जिसे मवेशी भी नहीं पीते हैं. मजबूरी में सूखे कंठ को गीला कर रहे हैं.