भोपाल। एमपी और छत्तीसगढ में किन कारणों से मिली कांग्रेस को करारी हार. इन दोनों राज्यों में कांग्रेस कहां क्या चूक कर गई. क्यों प्रियंका और राहुल गांधी की चुनावी सभाएं बेअसर रहीं. वो कौन सी पांच गल्तियां हैं. कौन सी पांच भूलें थी. जिनकी वजह से एमपी और छत्तीसगढ में कांग्रेस की हार की पटकथा लिखी गई.
उल्टा पड़ गया जातिगत जनगणना का दांव:कांग्रेस ने यूपी बिहार की जातिगत राजनीति का तड़का एमपी छत्तीसगढ में लगाने का दांव खेला था. जो औंधे मुंह गिरा. एमपी छत्तीसगढ में राहुल प्रियंका गांधी ने जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाया. हालांकि, इन राज्यों के कुछ हिस्सों को छोड़ दें, तो यहां जातिगत सियासत उस ढंग से जोर नहीं पकड़ पाई कभी. फिर जाति की सियासत का सिरा जिस ढंग से बीजेपी ने धामा है. वो कांग्रेस के लिए दूर की कौड़ी ही रहा. पिछड़ा वर्ग जो एमपी में 54 फीसदी आबादी के साथ 90 से ज्यादा सीटों पर असर रखता है.
क्या देश के 'Heartland' में कांग्रेस को भारी पड़ा जातिगत जनगणना का दांव, जानें दोनों राज्यों में पार्टी के हार के कारण - Shivraj Singh Chouhan
MP Vidhan Sabha Chunav Result 2023: देश के दिल ने अपना फैसला सुना दिया है. यहां कांग्रेस शासित राज्य एमपी में बीजेपी सरकार पर जनता ने अपना फैसला सुना दिया है. MP में कांग्रेस का मुंह की खानी पड़ी है. आइए जानते हैं, कांग्रेस पार्टी के हार के 5 बड़े कारण...
Published : Dec 3, 2023, 6:31 PM IST
|Updated : Dec 3, 2023, 6:58 PM IST
कांग्रेस की बड़ी गलती से मिली बीजेपी बंपर जीत:इंडिया एलाइंस की ओर से सनातन को लेकर जो टिप्पणी की गई. बीजेपी ने हिन्दी बेल्ट में उसे इस तरह से मुद्दा बनाया कि कांग्रेस के खिलाफ गया. पीएम मोदी ने एमपी में हुई शुरुआती चुनावी सभा में ही सनातन को मुद्दा बनाया था. सनातन के सम्मान में बीजेपी मैदान में उतरेगी ये एलान किया गया. पीएम मोदी ने कहा कि कुछ दल समाज को विखंडित करने में लगे हैं. उनका लक्ष्य है. भारतीय संस्कृति पर हमला. जो भारत की संस्कृति धर्म पर हमला करे, उन्हें सत्ता में आने से रोकना होगा. बीजेपी ने यहां बहुसंख्यक भारतीयों की नब्ज को समय रहते थाम लिया था.
साइलेंट वोटर का मिजाज नहीं पकड़ पाई कांग्रेस:जो लाड़ली बहना योजना बीजेपी के लिए गेम चेंजर रही, उस योजना का खाका कर्नाटक में तो कांग्रेस में ही बना था. इसे लागू भी किया काग्रेस ने. लेकिन एमपी में इसकी टाइमिंग में कांग्रेस चूक कर गई. इधर कांग्रेस ने इस योजना को सत्ता में आने के बाद लागू करने का दम दिखाया. उधर बीजेपी ने तो सत्ता में रहते, इसे लागू भी कर दिया. इस तरह किया कि वोटिंग वाले महीने में भी इसकी किश्त हितग्राहियों के खाते में चली गई. कांग्रेस ने बीजेपी के मुकाबले लाड़ली बहना को ज्यादा राशि दिए जाने का ऐलान किया. लेकिन महिला वोटरों ने तो उसी को माना जो उनके एकाउंट में पैसा डाल रहा था हर महीने.
बीच चुनाव में गठबंधन में दरार:एमपी में चुनाव के दौरान ही समाजवादी पार्टी से सीटों की शेयरिंग को लेकर हुआ विवाद, जिस तरह से कमलनाथ का उसके बाद बयान आयाकौन अखिलेश वखिलेश कहकर समाजवादी नेता पर टिप्पणी की. उसके बाद अखिलेश का बयान आया कि जब सरकार गिर रही थी, तब किस तरह से काग्रेस मदद मांग रही थी. फिर समाजवादी पार्टी का अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान और सीटें उतारना, इस पूरे एपिसोड ने भी कांग्रेस की छवि को प्रभावित किया.
जीत हार के पहले कांग्रेस में कपड़े फटे:उम्मीदवार घोषित किए जाने के ऐन बाद कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच चला कपड़ा फाड़ एपिसोड बहुत सुर्खियो में रहा. शुरुआत कमलनाथ ने की और दिग्विजय सिंह ने भी उसे संभालने के बजाए, उसी अंदाज में आगे बढ़ाया है. इस एपिसोड ने भी कार्यकर्ताओं से ज्यादा जनता के बीच ये संदेश दिया कि दोनों नेताओं के बीच दरार है. दूसरी तरफ जनता तक भी ये मैसेज गया कि जो उम्मीदवारों के चयन पर कपड़े फाड़ रहे हैं. ये अगर सत्ता मे आए तो क्या होगा.