जबलपुर। नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस आमने सामने है. जीत किसकी तय होगी ये तो परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट होगा, लेकिन उससे पहले कांग्रेस के फर्जी संकल्प पत्र से सियासी विवाद छिड़ गया है. ये फर्जी संकल्प पत्र कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी जगत बहादुर सिंह के नाम था. संकल्प पत्र में मुस्लिम समुदाय से कुछ वादे किए गए थे.संकल्प सामने आने के बाद से ही विवाद सियासी रंग लेने लगा और बात धमकी तक आ पहुंची है.
कांग्रेस का फर्जी संकल्प पत्र बना बखेड़ा:नगरीय निकाय चुनाव में संस्कारधानी में मतदान के ठीक 1 दिन पहले कांग्रेस प्रत्याशी जगत बहादुर सिंह अन्नू के नाम से कुछ पोस्टर मुस्लिम बहुल इलाकों में चस्पा कर दिए गए थे. इसमें वर्ग विशेष के लिए कई घोषणाओं का जिक्र था. इस घोषणापत्र में हिंदुओं की आस्था का केंद्र मां नर्मदा के किनारे मस्जिद के लिए जमीन आवंटित करने की घोषणा भी कर दी गई थी. जिसने इस बात को सियासी और मजहबी रंग देकर विवाद खड़ा कर दिया.
विवाद को तूल बीजेपी की यात्रा ने दिया:कांग्रेस प्रत्याशी ने इस फर्जी संकल्प पत्र को लेकर स्पष्टीकरण भी दिया और इस मामले में शिकायत भी दर्ज कराई. बीजेपी ने इस मामले को तूल देते हुए मंगलवार को मां नर्मदा तट ग्वारीघाट तक यात्रा निकाली थी. इसमें कैबिनेट मंत्री गो पालन बोर्ड के उपाध्यक्ष और पशु संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद भी शामिल हुए.
सांसद विवेक तंखा का मैसेज बना धमकी: महामंडलेश्वर नेइस मामले में कांग्रेस प्रत्याशी और कांग्रेस के बड़े नेताओं को लेकर बयानबाजी कर दी. जब महामंडलेश्वर का बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुए तो कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अखिलेश्वरानंद गिरि को व्हाट्सएप मैसेज कर दिया. इस बीच एक और व्हाट्सएप मैसेज सुर्खियां बना वह था राज्यसभा सांसद विवेक कृष्ण तंखा का. राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि को किए गए व्हाट्सएप मैसेज में लिखा कि" यह सब झूठा तमाशा क्यों कर रहे हैं, आप एक सरकारी बोर्ड में भी हैं, यह सब हम याद रखेंगे".
मैसेज को माना धमकी? राज्यसभा सांसद विवेक तंखा के इस मेसेज को स्वामी अखिलेशरानंद गिरि ने धमकी माना है. उन्होंने अब इस मामले को लेकर शिकायत किए जाने की बात भी कही है. जबलपुर नगर निगम में महापौर पद को लेकर कड़ी टक्कर है. एक तरफ भाजपा प्रत्याशी जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जा रहे हैं, तो वहीं जमीन से जुड़े जगत बहादुर सिंह अन्नू भी आम जनता के बीच अपनी पकड़ रखते हैं. कौन जीता कौन हारा इसका फैसला तो 17 जुलाई को हो जाएगा, लेकिन यह ताजा विवाद आगे क्या रूप लेता है इस बारे में अभी कुछ भी कहना मुश्किल है.