जबलपुर। एमपी आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर मध्य प्रदेश की पूरी चिकित्सा शिक्षा को संचालित करती है. आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय मेडिकल डेंटल नर्सिंग, आयुर्वेदिक, यूनानी और पैरामेडिकल शिक्षा के लिए काम करता है. इस यूनिवर्सिटी से लगभग 2 लाख छात्र हर साल शिक्षा प्राप्त करते हैं और मध्य प्रदेश की हजारों संस्थाएं इससे जुड़ी हुई हैं. अब यह संस्थान देश की पहली 100% डिजिटलाइज यूनिवर्सिटी बनने जा रही है. मान्यता, प्रवेश और परीक्षा तीनों काम 100% डिजिटल आधार कार्ड आधारित और ऑनलाइन होंगे. मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल का कहना है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी अभी सेमी डिजिटल है फिलहाल कुछ काम मैनुअली भी किए जाते हैं लेकिन अब वह टीसीएस और आईटीआई नाम की दो सॉफ्टवेयर कंपनियों से जुड़कर इसे पूरी तरह से डिजिटल करने जा रहे हैं.
मान्यता संबंधी डिजिटलाइजेशन:मेडिकल यूनिवर्सिटी चिकित्सा शिक्षा से जुड़ी संस्थाओं को मान्यता देती है. चिकित्सा शिक्षा देने के लिए कक्षाओं के अलावा अस्पताल का होना बहुत जरूरी है क्योंकि चिकित्सा संबंधी पढ़ाई सीधे मानव जीवन को प्रभावित करती है इसलिए इसमें अभ्यास की बहुत अधिक जरूरत पड़ती है. बिना प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के चिकित्सा की कोई भी पढ़ाई पूरी नहीं होती लेकिन अस्पताल संचालित करना एक खर्चीला काम है इसलिए चिकित्सा शिक्षा देने वाले संस्थान इसमें फर्जीवाड़ा भी करते हैं. इसी को रोकने के लिए मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने सॉफ्टवेयर कंपनी से एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार करने के लिए कहा है जो जीपीएस के जरिए उसी लोकेशन पर खुलेगा जहां संस्था मान्यता लेने के लिए अप्लाई कर रही है. वहीं पर संस्था को मान्यता संबंधी पूरे डॉक्यूमेंट देने होंगे, जो उसी स्थान से अपलोड हो जाएंगे. इसके जरिए संस्थाओं का भौतिक सत्यापन हो जाएगा और यदि संस्था नियम शर्तों का पालन नहीं करेगी तो उसी समय सॉफ्टवेयर संस्था की मान्यता को रोक देगा. फर्जी संस्थाओं को मान्यता देने की वजह से फिलहाल नर्सिंग पढ़ाई करने वाले हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ा हुआ है इसलिए मेडिकल यूनिवर्सिटी को यह प्रावधान करना पड़ा.
छात्रों के एडमिशन संबंधित डिजिटलाइजेशन:छात्रों के एडमिशन में भी कई बार गड़बड़ियों की शिकायत सामने आई है बल्कि मेडिकल कॉलेज जबलपुर में कुछ मामले ऐसे भी सामने आए जिसमें डमी कैंडिडेट ने परीक्षा दी और एडमिशन किसी दूसरे छात्र का हो गया. इसी के साथ ही एडमिशन फॉर्म में गड़बड़ी होने की वजह से कई बार छात्रों के नाम पते गलत दर्ज हो जाते हैं और छात्रों को यूनिवर्सिटी के चक्कर काटने पड़ते हैं इसकी वजह से भ्रष्टाचार भी पनपता है. इसी समस्या को खत्म करने के लिए मेडिकल यूनिवर्सिटी ने एडमिशन के दौरान आधार कार्ड में दर्ज नाम पता और जानकारी सीधे बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के जरिए दर्ज करने का सिस्टम बनाया है ताकि आधार कार्ड से लेकर डिग्री तक एक से डॉक्यूमेंट रहें और यदि छात्र आधार कार्ड में परिवर्तन कर लेता है तो उसके पूरे डाक्यूमेंट्स में परिवर्तन हो जाए.