भोपाल।मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्रीउमा भारती ने महिला ओबीसी आरक्षण पर अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं. उन्होंने साफ कह दिया कि जब तक ओबीसी महिलाओं के लिए मोदी सरकार आरक्षण का प्रावधान नहीं कर देती, तब तक वे इस मुहिम को आगे बढ़ाती रहेंगी. उमा ने अपने बंगले पर शनिवार को ओबीसी समाज की बैठक बुलाई. उनके साथ ओबीसी से जुड़े लोग और संगठनों ने उमा के आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि ''वे उमा के साथ हैं और जब तक वे महिला आरक्षण बिल में संशोधन नहीं करा लेते, सांस नहीं लेंगे.''
ओबीसी महिला आरक्षण को लेकर बैठी:उमा भारती ने लोगों को बुलाया और स्पष्ट कर दिया कि वह पूरे देश में ओबीसी महिला आरक्षण को लेकर बैठक करेंगी. आचार संहिता के पहले एक बड़ा सम्मेलन वे करना चाहती हैं और मोदी सरकार से गुजारिश करेंगी कि भले ही बिल पास हो गया है लेकिन इसमें वह संशोधन करें और ओबीसी महिला आरक्षण को शामिल करें.
उमा ने लोगों को याद दिलाया किसान आंदोलन:तमाम भाजपा नेता महिला आरक्षण की तारीफ करते नहीं थक रहे. लेकिन उमा भारती ने मोदी सरकार की मंशा पर ग्रहण लगा दिया है. उन्होंने एलान कर दिया है कि जब तक इस बिल में ओबीसी महिलाओं का आरक्षण शामिल नहीं किया जाता वो चैन से नहीं बैठेंगी. उमा ने समाज के लोगों को किसान आंदोलन याद दिलाया और कहा कि ''अपनी मांगों को लेकर किसानों ने भी आंदोलन किया था और वे पीछे नहीं हटे और आखिरकार सरकार को बिल वापस लेना पड़ा.''
उमा केंद्र सरकार की खिलाफत क्यों कर रही हैं:उमा भारती के बारे में कहा जाता है कि उनका भरोसा नहीं रहता कि वे कब क्या कह दे या फिर किस चीज के लिए अड़ जाएं. फिलहाल केंद्र की राजनीति में उमा हाशिए पर हैं और प्रदेश में भी बीजेपी उनको तवज्जो नहीं दे रही है. लिहाजा उमा ओबीसी वर्ग की राजनीति कर रही हैं. उमा ओबीसी महिला आरक्षण का राग छेड़कर बीजेपी को संदेश पहुंचाना चाहती हैं और एक तरह की प्रेशर पॉलिटिक्स का इस्तेमाल कर अपनी ताकत दिखाना चाहती हैं. उन्हें पता है कि देश में ओबीसी की आबादी 55 फीसदी के करीब हैं. ऐसे में उमा ने ओबीसी का राग छेड़कर बीजेपी के पसीने छुड़ा दिए हैं. पार्टी ने भी ओबीसी महिला आरक्षण के मुद्दे पर चुप्पी साध ली है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से उमा भारती के महिला आरक्षण मुद्दे पर पूछा गया तो सभी ने इस मुद्दे पर बचने की कोशिश की.