भोपाल। ट्रक और बस ड्राइवर्स की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी है. इसके चलते मध्य प्रदेश में दूध, सब्जी की सप्लाई खासी प्रभावित हुई है. स्कूल वैन बंद होने से राजधानी भोपाल के अधिकांश स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई, जिन स्कूलों में छुट्टी नहीं दी गई, उनमें गिने-चुने बच्चे ही पहुंचे. हड़ताल को देखते हुए सुबह से ही पेट्रोल पंप पर पेट्रोल-डीजल भरवाने के लिए वाहनों की लाइनें लग गईं. इसको देखते हुए शहर के कुछ पेट्रोल पंप ने मुनाफाखोरी शुरू कर दी. निर्धारित राशि से ज्यादा पेट्रोल पंप संचालकों ने वसूला. उधर, एक दिन में ही सब्जियों के दाम दोगुने से ज्यादा पहुंच गए.
एक दिन में ही दोगुने भाव में पहुंची सब्जी:उधर, हड़ताल का सबसे ज्यादा असर सब्जियों पर दिखाई दिया. आसपास के शहरों से मंडियों में सब्जियां नहीं पहुंची, इसकी वजह से एक दिन की हड़ताल में ही सब्जियों के दाम दोगुने से ज्यादा हो गए. थोक सब्जी व्यापारी रामस्वरूप ने बताया कि सब्जी मंडी में सिर्फ स्थानीय किसान ही पहुंचे, जबकि अधिकांश सब्जी आसपास के जिलों से आती थी, लेकिन हड़ताल की वजह से बाहरी किसान अपनी सब्जी लेकर नहीं आ सके. इसकी वजह से सब्जियों के दाम दोगुने हो गये हैं. एक दिन पहले तक थोक में बिकने वाले आलू की कीमत 10 रुपए से बढ़कर 40 रुपए किलो हो गई है, यही आलू शहर के बाजार में 60 रुपए किलो में बिक रहा है. वहीं, टमाटर भी 50 रुपए किलो बिका.
सब्जियों के नये भाव :
- आलू - 60 रुपए किलो
- टमाटर - 60 रुपए किलो
- गोभी - 70 रुपए किलो
- लौकी - 65 रुपए किलो
- मटर - 80 रुपए किलो
- धनिया - 40 रुपए की 100 ग्राम
- मिर्च - 30 रुपए की 100 ग्राम
थमे रहे बसों के पहिए... :बस और ट्रकों की हड़ताल का सबसे ज्यादा असर सार्वजनिक परिवहन पर दिखाई दिया. हड़ताल के चलते प्रदेश में बसों के पहिए थमे रहे. भोपाल के इंटर स्टेट बस टर्मिनल से किसी भी शहर के लिए बस रवाना नहीं हुई. बसें बंद होने से यात्री बस स्टेंड पर भटकते रहे. मजबूरन उन्हें घर वापस लौटना पड़ा. सबसे ज्यादा समस्या उन यात्रियों को आई, जो दूसरे शहरों में पहुंचे थे. उन्हें वापस लौटने के लिए कोई साधन ही नहीं मिला. भोपाल से इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर, छतरपुर, पुणे, छिंदवाडा, नागपुर सहित सभी रूट की बसें बंद हैं. हड़ताल के दूसरे दिन एक भी सूत्र सेवा, चार्टर्ड और रेड बसें भोपाल से रवाना नहीं हुई.
शहरों में नहीं चल रही सिटी बसें और ऑटो :लंबी दूरी की बसें ही नहीं, बल्कि शहरों में भी लो फ्लोर बसें नहीं चलीं. हालांकि सार्वजनिक परिवहन को बहाल करने के लिए बीसीएलएल ने ड्राइवर्स को ड्यूटी पर आने और बसें चलाने के लिए फोन किया, लेकिन कोई भी ड्राइवर ड्यूटी पर नहीं आया, इसके चलते बसें नहीं चल सकीं. उधर ऑटो, कैब ड्राइवर्स ने भी हड़ताल का समर्थन किया है, इससे शहरों में ऑटो के भी पहिए थमे रहे. शहर में करीबन 4 हजार से ज्यादा ऑटो चलते हैं, जबकि कैब की संख्या करीबन ढाई हजार है.