डिंडौरी :मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले की बैगा आदिवासी (Baiga Adivasi) महिला अधनी बाई महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गई हैं. अधनी बाई मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश में बैगा जनजाति की पहली महिला है, जिन्हें बखूबी ट्रैक्टर चलाना आता है.
कल तक घर की चारदीवारियों में कैद रहकर चूल्हा-चौका संभालने वाली यह महिला ट्रैक्टर चलाने में इतनी दक्ष है कि उसको ट्रैक्टर चलाते देख पुरुष ड्राइवर सहित सभी लोग दंग रह जाते हैं. ट्रैक्टर चलाकर अधनी बाई न सिर्फ अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं बल्कि वह हर महीने ट्रैक्टर की किश्तें भी जमा करती हैं.
वनग्राम शीतलपानी में रहने वाली अधनी बाई को जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत ऋण देकर ट्रैक्टर उपलब्ध कराया था. शुरुआती दौर में अधनी बाई को ट्रैक्टर की किश्तें जमा करने और काम तलाशने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन मेहनत और लगन के दम पर इस महिला ने सभी मुश्किलों को हराते हुए कामयाबी की नई इबारत लिख डाली.
अधनी बाई के हौसले और जज्बे को देख मध्य प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे भी सराहना करते नजर आ रहे हैं.
घर की खराब माली हालत के चलते संभाला स्टीयरिंग
35 वर्षीया बैगा आदिवासी महिला अधनी बाई और उसके परिवार की माली हालत इतनी खराब थी कि उसने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि कभी उसका खुद का ट्रैक्टर होगा और वो खुद ट्रैक्टर चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करेगी. लेकिन अचानक एक सरकारी योजना ने उसकी तकदीर बदलकर रख दी.
अधनी बाई अपने गांव के अलावा आसपास के गांवों में ट्रैक्टर के जरिए कुशलता से कृषि कार्य करती हैं. अधनी बाई के हौसले को बढ़ावा देने आसपास के ग्राम पंचायतों के निर्माण कार्यों में भी उनके ट्रैक्टर को प्रमुखता से काम दिया जाता है. ट्रैक्टर पाकर अधनी बाई काफी खुश हैं और उनके जीवन स्तर में काफी सुधार भी हुआ है. अधनी के पति मजदूर हैं जो ट्रैक्टर के व्यवसाय में अपनी पत्नी का बराबर सहयोग करते हैं.
ओमप्रकाश धुर्वे ने की अधनी बाई की तारीफ
मध्यप्र देश के पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे भी अधनी बाई की मेहनत और लगन के कायल हैं. धुर्वे ने बताया कि राज्य सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए तमाम प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है. महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए सरकार हरसंभव मदद कर रही है. बैगा आदिवासी महिला अधनी बाई की मेहनत और हिम्मत और सबके लिए एक प्ररेणा है.
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कौन होते हैं बैगा आदिवासी
बैगा नाम की यह जनजाति नई जगह और नए घर बनाकर नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत करते हैं. बैगा जनजाति मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के जंगलों में रहती है. बैगा परिवार में किसी की मौत होने के बाद यह अपना घर छोड़ देते हैं. घर छोड़ने का कारण कुल देवता का नाराज होना बताया जाता है.
क्या हैं मान्यताएं
- आदिवासी लड़कियों को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार होता है.
- महिला और लड़कियों को दूसरा विवाह करने का अधिकार होता है, लेकिन इसके पहले इन्हें एक लोटा गर्म पानी डालकर पवित्र कर दिया जाता है.
- बैगा समाज में बहुपत्नी रखने की परंपरा है, लड़की अपनी मर्जी से दूसरा विवाह कर सकती है.
- विधवा विवाह में वैसे देवर ही महिला से पहले शादी करता है, लेकिन अगर विधवा किसी और से शादी करना चाहे तो कर सकती है.