भोपाल।मध्यप्रदेश में वन्य जीवों की सेहत की देखरेख भगवानभरोसे है. प्रदेश में जंगल 77 हजार 493 वर्ग किलोमीटर में फैला है. प्रदेश में 6 टाइगर रिजर्व हैं- सतपुड़ा, पन्ना, पेंच, कान्हा, बांधवगढ़ और संजय-दुबरी. इसमें सबसे आखिर में सतपुडा टाइगर रिवर्ज 1999 में बना था. इसे बने करीब 24 साल हो गए, लेकिन इतने साल गुजरने के बाद भी मध्यप्रदेश के वन विभाग को पशुपालन विभाग के प्रतिनियुक्ति पर आए 11 डॉक्टर्स से ही काम चलाना पड़ रहा है. इन्हीं के भरोसे वाइल्ड लाइफ का ट्रीटमेट है. जबकि प्रदेश में 6 टाइगर रिजर्व के अलावा 5 नेशनल पार्क और 10 सेंचुअरी भी हैं.
पशुपालन विभाग के डॉक्टर तैनात :साल 2018 की गणना में मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 526 बाघ पाए गए थे, जिनकी संख्या बढ़कर 700 तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है. इसके अलावा मध्यप्रदेश में लैपर्ड की संख्या करीब 3 हजार 400 है. प्रतिनियुक्ति पर वन विभाग में आए 11 डॉक्टर्स में से सभी नेशनल पार्क में एक-एक डॉक्टर पदस्थ किया गया है. इसके अलावा वन विहार नेशनल पार्क, भोपाल, व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में एक-एक और तीन डॉक्टर्स को कूनो नेशनल पार्क में रखा गया है. इन डॉक्टर्स के साथ कोई क्वालिफाई कंपाउंडर ही नहीं है. वन विहार नेशनल पार्क के डॉक्टर अतुल गुप्ता के मुताबिक कंपाउंडर का पद न होने से वन विहार में 2006 से वनरक्षक दिलीप बाथम से ही इसका काम कराया जा रहा है. कंपाउंडर का पद न होने से बाकी स्थानों पर भी यही स्थिति है.