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MP: विलुप्त हुई सोन चिरैया और खरमोर! अब जंगल भी खत्म करने की तैयारी में सरकार, केंद्र की मंजूरी का इंतजार

विलुप्त होती सोन चिरैया और खरमोर के संरक्षण और उसके वंश वृद्धि के नाम पर पिछले कई दशकों में करोड़ों रुपये खर्च किये गए, आखिरकार सरकार ने अब मान लिया है कि सोन चिरैया फुर्र हो गई है. एक दशक से संरक्षित वन क्षेत्र में खरमोर और सोन चिरैया न दिखाई देने पर अब दो वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को जंगल मुक्त करने की तैयारी की जा रही है. अब इसका प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा और मंजूरी के बाद यह भूमि डिनोटिफाई की जाएगी.

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Published : Oct 14, 2022, 12:39 PM IST

भोपाल।मध्यप्रदेश में सोन चिरैया और खरमोर सिर्फ बीते दिनों की बात बनकर रह जाएंगे. प्रदेश में घास के मैदान कम होने और इंसानी दखल बढ़ने से खरमोर और सोन चिरैया विलुप्त हो गईं हैं. दोनों ही पक्षियों के संरक्षण और वंश वृद्धि के लिए करोडों खर्च करने के बाद भी यह विलुप्त हो गए हैं, इसको देखते हुए अब प्रदेश की दो वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की 631 वर्ग किलो मीटर जमीन जंगल से बाहर करने की तैयारी की जा रही है.

10 सालों से नहीं दिखी सोनचिरैया, खरमोर:मध्यप्रदेश में खरमोर और सोन चिरैया के संरक्षण और वंश वृद्धि की तमाम कोशिशों के बाद भी इनकी संख्या को नहीं बढ़ाया जा सका. सोन चिरैया और खरमोर को दुर्लभ और संकटग्रस्त पक्षियों की श्रेणी में रखा गया है. इसके तहत सोन चिरैया के संरक्षण के लिए करैरा अभ्यारण में 202 वर्ग किलोमीटर राजस्व क्षेत्र एवं घाटीगांव हुकना पक्षी अभ्यारण के लिए 398.92 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अधिसूचित किया गया था, लेकिन तमाम कोशिश के बाद भी यहां सोनचिरैया दिखाई नहीं दी. इसी तरह खरमोन के लिए रतलाम के सैलाना और धार जिले के सरदारपुर में 342 वर्ग किलोमीटर भूमि संरक्षित की गई, खरमोर के लिए सरकार 'खरमोर बताओ 500 रुपए पाओ' योजना भी लेकर आई, लेकिन पिछले दस सालों से इस पक्षी को यहां नहीं देखा गया.

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अब भूमि को जंगल मुक्त करने की तैयारी:उधर करीब एक दशक से संरक्षित वन क्षेत्र में खरमोर और सोन चिरैया न दिखाई देने पर अब दो वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को जंगल मुक्त करने की तैयारी की जा रही है. इसके तहत धार जिले के सरदारपुर और रतलाम जिले के सैलाना की 331 वर्ग किलोमीटर और ग्वालियर के घाटीगांव और शिवपुरी में करैरा की करीब 300 वर्ग किलोमीटर जमीन को जंगल मुक्त किया जाएगा. करैरा की भूमि को जंगल मुक्त बनाने के लिए शिवराज सरकार हाल में कैबिनेट में फैसला कर चुकी है. उधर अब इसका प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा. केन्द्र से मंजूरी के बाद यह भूमि डिनोटिफाई की जाएगी.

इंसानी दखल के चलते विलुप्त हुए दोनों पक्षी:वन्यप्राणी विशेषज्ञ सुदेश वाघमारे कहते हैं कि सोनचिरैया और खरमोर दोनों पक्षियों की खासियत यह है कि इन्हें घास के मैदान पंसद हैं. घास के खुले मैदानों में वे रहती हैं और मैदान में ही वे अंडे देती हैं. लेकिन इंसानी दखल और घास के मैदान कम होने के चलते यह पक्षी लगभग विलुप्त हो गए हैं.

(MP Son Chiraya and Kharmor Extinct) (631 square KM land free from forest) (Great Indian Bustard)

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