भोपाल।मध्यप्रदेश में सोन चिरैया और खरमोर सिर्फ बीते दिनों की बात बनकर रह जाएंगे. प्रदेश में घास के मैदान कम होने और इंसानी दखल बढ़ने से खरमोर और सोन चिरैया विलुप्त हो गईं हैं. दोनों ही पक्षियों के संरक्षण और वंश वृद्धि के लिए करोडों खर्च करने के बाद भी यह विलुप्त हो गए हैं, इसको देखते हुए अब प्रदेश की दो वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की 631 वर्ग किलो मीटर जमीन जंगल से बाहर करने की तैयारी की जा रही है.
10 सालों से नहीं दिखी सोनचिरैया, खरमोर:मध्यप्रदेश में खरमोर और सोन चिरैया के संरक्षण और वंश वृद्धि की तमाम कोशिशों के बाद भी इनकी संख्या को नहीं बढ़ाया जा सका. सोन चिरैया और खरमोर को दुर्लभ और संकटग्रस्त पक्षियों की श्रेणी में रखा गया है. इसके तहत सोन चिरैया के संरक्षण के लिए करैरा अभ्यारण में 202 वर्ग किलोमीटर राजस्व क्षेत्र एवं घाटीगांव हुकना पक्षी अभ्यारण के लिए 398.92 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अधिसूचित किया गया था, लेकिन तमाम कोशिश के बाद भी यहां सोनचिरैया दिखाई नहीं दी. इसी तरह खरमोन के लिए रतलाम के सैलाना और धार जिले के सरदारपुर में 342 वर्ग किलोमीटर भूमि संरक्षित की गई, खरमोर के लिए सरकार 'खरमोर बताओ 500 रुपए पाओ' योजना भी लेकर आई, लेकिन पिछले दस सालों से इस पक्षी को यहां नहीं देखा गया.
सोन चिरैया संरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, दे सकते हैं तार भूमिगत करने के आदेश