भोपाल।रहमत बानो के लिए मां बनना न रुतबा है और न खुशी का मौका है. मां है तो अपने तीसरे बच्चे को मुसीबत भी नहीं कह सकती, लेकिन आगर-मालवा की रहने वाली सरकारी स्कूल की इस टीचर को तीसरी औलाद की वजह से अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. रहमत की सेवाएं सिविल सेवा नियम के 2001 के उस नियम के तहत गई है, जिसमें कोई भी उम्मीदवार जिसके दो या अधिक जीवित संतान हैं. जिनमें से एक का जन्म 26 जनवरी 2001 को या उसके पश्चात हुआ है. किसी सेवा या पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा. रहमत को नियम की जानकारी थी, लेकिन उनका कहना है कि जब तक उन्हें प्रैग्नेंसी का पता चला तब अर्बाशन करवाने में जान का जोखिम था. रहमत बानो का आरोप ये भी है कि उसके ही विद्यालय में तीन संतानों की इस शर्त को तोड़ते हुए कई और कर्मचारी कार्यकरत हैं, लेकिन गाज सिर्फ उस पर ही गिरी है.
मां ना बनती तो बच जाती नौकरी: आगर-मालवा जिले के बीजा नगरी के शासकीय मिडिल स्कूल में रहमत बानो मंसूरी टीचर थी. रहमत यहां कैमिस्ट्री की टीचर थी. 2003 में संविदा वर्ग-2 में वे शासकीय नौकरी में आई थी. वे तीन बच्चों की मां हैं. जिनमें पहली बेटी रहनुमा 2000 में हुई. उसके बाद दूसरा बेटा मुशाहिद 2006 में हुआ और तीसरा बेटा मोहम्मद मुशर्रफ 2009 में पैदा हुआ. तीसरे बेटे को जन्म देना ही रहमत को भारी पड़ गया. रहमत बताती हैं मुझे तीसरे बच्चे को लेकर 2001 का जो सरकारी प्रावधान है. उस नियम की पूरी जानकारी थी, लेकिन जब तुक मुझे पता चला, तब तक काफी देर हो चुकी थी. रहमत कहती हैं मैंने अर्बाशन के बारे में भी सोचा. डॉक्टर से भी बात की, लेकिन डॉक्टर ने इसमें मेरी और बच्चे की जान को खतरा बताया. इसी के बाद मुझे हारकर बच्चे को जन्म देने का फैसला लेना पड़ा.