इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर में बायो CNG बनाकर बसें चलाने वाले इंदौर नगर निगम की बसों को प्लांट में बनी सीएनजी रास नहीं आ रही है. दरअसल जो CNG यहां गीले कचरे से तैयार की जा रही है वह प्राकृतिक CNG से अलग होने और गुणवत्तापूर्ण नहीं होने के कारण बसों को समय से पहले खटारा बनाने का जरिया साबित हो रही है. हाल ही में इन बसों को चलाने वाले ऑपरेटरों ने यह स्थिति निगम प्रशासन को बताई तो यह मामला उजागर हुआ. अब इस मामले में बायो सीएनजी प्लांट के बस ऑपरेटर और इंजीनियरों का 4 सदस्य दल गठित किया गया है, जो बायो सीएनजी की गुणवत्ता से लेकर बसों में हो रहे नुकसान की पड़ताल करेगा.
फरवरी 2022 में पीएम ने किया था उद्घाटन: दरअसल इंदौर में गीले कचरे से बायो CNG गैस बनाने वाले गोवर्धन प्लांट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल फरवरी में किया था. करीब 150 करोड़ की लागत से तैयार इंदौर के देवगुराडिया स्थित प्लांट में साढे 500 मेट्रिक टन गीले कचरे के डिस्पोजल से 17500 किलो बायो सीएनजी और 100 मेट्रिक टन कंपोस्ट खाद बनाना शुरू किया गया था. यहां बनने वाली सीएनजी गैस से शहर की 400 से अधिक बसें चलाने की तैयारी की गई थी. इसके अलावा शेष बची सीएनजी शहर वासियों को भी सप्लाई करने की व्यवस्था है.
तकनीकी खामी का शिकार बसें:इधर बायो सीएनजी से इंदौर नगर निगम द्वारा जो बसे शहर के विभिन्न रूटों पर चलाई जा रही हैं वह साल भर में ही किसी ना किसी मेकेनिकल और तकनीकी खामी का शिकार हो रही हैं. इन्हें चलाने वाले ऑपरेटर दबी जुबान में बताते हैं कि ''जो बायो सीएनजी गैस बसों के लिए उपयोग की जा रही है वह बसों के फिल्टर और इंजन के हिसाब से कम उपयुक्त है. नतीजतन बसे न तो अपनी क्षमता के मुताबिक कार्य कर पा रही हैं ना ही ड्राइविंग में बेहतर परफॉर्म कर पा रही हैं. इसके अलावा बार-बार खराब होने की परेशानी लगातार सामने आ रही है जबकि यही बसें प्राकृतिक सीएनजी से ठीक तरीके से चल पा रही हैं.''