ग्वालियर। मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इन दिनों सिंधिया परिवार के द्वारा जमीन से जुड़े मामले काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं. ग्वालियर में एक के बाद एक सिंधिया परिवार द्वारा जमीनों पर अपना हक बताने के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला इन दिनों काफी चर्चा में है. कांग्रेस का आरोप है कि जिस ओवरब्रिज को सिंधिया परिवार के मुखिया रहे माधवराव सिंधिया ने स्वीकृत किया और केंद्र सरकार में मंत्री रहते हुए उसे बनवाया और उसका उद्घाटन किया. अब उन्हीं के वंशज यानी उनके बेटे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया उसे अपनी जमीन बताते हुए करोड़ों रुपए का हर्जाना मांग रहे हैं. अब इस मामले को लेकर खूब सियासत हो रही है.
क्या है यह पूरा मामला: ग्वालियर शहर के बीचोबीच तीन दशक पहले बने एजी ऑफिस पुल पर सिंधिया ट्रस्ट ने अपना हक जताया है. उन्होंने दावा किया है कि एजी ऑफिस ओवरब्रिज जिस जमीन पर बना है, वह जमीन कमला राजे चैरिटेबल ट्रस्ट की है. सिंधिया परिवार का यह ट्रस्ट इसके बदले शासन से करीब सात करोड़ मुआवजा मांग रहा है. हालांकि शासन ने अपने जवाब में कहा है कि पुल सरकारी जमीन पर बना है और इसको लेकर राजस्व विभाग के अधिकारियों ने 1950 के खसरे भी पेश किया है. जिसमें जमीन सरकारी बताई गई है.
सिंधिया, पत्नी बेटे सहित अन्य लोगों को बनाया पक्षकार:इस मामले में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मां पत्नी और बेटे सहित अन्य लोगों को पक्षकार बनाया है. शासन की आपत्तियां खारिज करते हुए न्यायालय ने कमला राजे चैरिटेबल ट्रस्ट का आवेदन स्वीकार कर लिया है. न्यायालय ने सिंधिया और परिजनों सहित अन्य लोगों को पक्षकार बनाने का आदेश दिया है. बता दें न्यायालय में आवेदन देकर इन्हें पक्षकार बनाने की मांग की गई थी. शासन ने इसका विरोध किया, लेकिन न्यायालय ने दलीलें नहीं मानी. न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि वाद पत्र पर सभी ट्रस्ट हो या अधिकृत प्रबंध न्यासी के हस्ताक्षर कराकर सत्यापन करना होगा. संभावना है कि सिंधिया परिवार किसी अन्य व्यक्ति को अपनी ओर से अधिकृत कर दे और वह न्यायालय में आकर कागजी कार्रवाई पूरी करें.
उठ रहे कई सवाल: अब इस मामले को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार इसे सरकारी जमीन बता रही है और सिंधिया ट्रस्ट अपनी जमीन बता रहा है. इस पूरे मामले में एक सवाल यह उठता है कि अगर यह जमीन सिंधिया ट्रस्ट की है तो फिर इस जमीन पर सरकार ने पुल क्यों बनाया और सिंधिया परिवार के मुखिया रहे माधवराव सिंधिया ने मंत्री रहते इस पुल का उद्घाटन क्यों किया. मामले में लगातार अब राजनीति शुरू हो गई है. बीजेपी के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि यह कहें तो गलत नहीं होगा कि पूरा ग्वालियर ही उनका था. यह उनका व्यक्तिगत मामला है. उन्हें सोचना चाहिए कि वह अंचल के बड़े जनप्रतिनिधि हैं और जनता में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा. इस पर उनको विचार करना चाहिए. वहीं इस मसले पर कांग्रेस लगातार पलटवार कर रही है.