भोपाल। कई दरबार में मत्था टेकने के बाद औलाद नसीब होती है. जब इसी औलाद के जीते जी किसी बाप को डेथ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए मजबूर होना पड़े तो यह सिस्टम का फेल्योर नहीं तो और क्या है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है राजधानी भोपाल के मिसरोद थाने से. यहां 13 साल पहले लापता हुए एक युवक के पिता ने थक हारकर अब बेटे के मिलने की आस छोड़ दी है और डेथ सर्टिफिकेट के लिए कोर्ट में आवेदन कर दिया है.
हाईकोर्ट के आदेश पर भी गंभीर नहीं हुई पुलिसः उत्तर प्रदेश झांसी के रहने वाले डॉ. बीपी सूत्रकार कृषि विभाग में बतौर सहायक संचालक कार्यरत हैं. उनकी पोस्टिंग अभी छतरपुर में है.सिस्टम से परेशान हाल एक आदमी की तरह से छतरपुर से भोपाल तो भोपाल से छतरपुर तक चक्कर लगाने के लिए मजबूर है. सूत्रकार बताते हैं कि उनके दो बेटे थे. बड़ा बेटा कृष्णकांत 2010 में भोपाल के भाभा कॉलेज ऑफ डेंटल साइंस जाटखेड़ी से बीडीएस की पढ़ाई कर रहा था. वह सेकेंड ईयर का छात्र था. 21 फरवरी 2010 को अचानक कहीं लापता हो गया. पुलिस ने उसकी गुमशुदगी दर्ज कर फाइल एक तरफ डाल दी. इस बात को 4 दिन बाद पूरे 13 साल हो जाएंगे. इन 13 साल में बेटे का कोई सुराग पुलिस नहीं तलाश पाई. आखिरकार 11 साल तक पुलिस अफसरों के चक्कर लगाकर तंग आ गए और सूत्रकार ने हाईकोर्ट की शरण ली. उन्होंने याचिका लगाई कि पुलिस उनके बेटे को ठीक ढंग से तलाश नहीं कर रही है. हाईकोर्ट ने 26 अक्टूबर 2021 को आदेश दिए कि पुलिस गंभीरता से इस मामले की जांच करें, लेकिन पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई. खोखले सिस्टम से थक हारकर वह अब अपने लापता बेटे का डेथ सर्टिफिकेट मांग रहे हैं.
Rewa Traffic Police प्रधान आरक्षक विकट सिंह ने दर्ज कराई विकट रिपोर्ट, मृत व्यक्ति के नाम FIR
इसलिए नहीं मिल रहा है डेथ सर्टिफिकेटः जब सूत्रकार नगर पालिका दफ्तर में डेथ सर्टिफिकेट के लिए गए तो उन्होंने कहा कि पुलिस ने अब तक इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट नहीं लगाई है. ऐसे में सीधे डेथ सर्टिफिकेट जारी करना संभव नहीं है. सूत्रकार भोपाल आए और पुलिसकर्मियों से मुलाकात की तो जवाब मिला कि अभी बेटे को ढूंढ रहे हैं. तब वे छतरपुर गए और वहां उन्होंने सिविल कोर्ट में डेथ सर्टिफिकेट के लिए अपील कर दी. दरअसल उन्हें बैंक में बेटे के नाम से जमा राशि निकालनी है, क्योंकि बेटे के जाने के बाद उनकी पत्नी लगातार बीमार है और अब तक इलाज पर लाखों रुपया खर्च हो चुका है. बैंक ने ही सलाह दी कि कोर्ट में अपील करें.