भोपाल। राजधानी में करीब 10 महीने पहले ऐसे दो मदरसे सामने आए, जिनमें बिहार, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों के बच्चों को लाकर पढ़ाया जा रहा था. मप्र बाल संरक्षण आयोग ने शिकायत के आधार पर जब औचक निरीक्षण किया तो पता चला कि बहुत सारे बच्चों के पास आईडी नहीं है या फिर दोहरी आईडी है. इसके बाद मामला पुलिस के पास गया. पुलिस को सीधे तौर पर इनकी जांच के अधिकार नहीं थे तो मामला कलेक्टर के पास पहुंच गया. कलेक्टर ने महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों को कहा कि इनका सर्वे करें, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया. सितंबर 2022 में कलेक्टर ने दोबारा एक लेटर लिखा और कहा कि 13 बिंदुओं पर भोपाल के सभी मदरसों की जांच की जाए, लेकिन आज दिनांक तक इस जांच रिपोर्ट सबमिट नहीं हुई है. बुधवार को जब सीएम ने समीक्षा की तो एक बार फिर इस सर्वे को लेकर हलचल शुरू हो गई है. अफसर अब हड़बड़ी में है, क्योंकि महिला एवं बाल विकास विभाग अभी सीएम के पास ही है. भोपाल कमिश्नर ऑफ पुलिस हरिनारायण चारी मिश्र अब पूरी रिपोर्ट निकलवा रहे हैं कि पूर्व में कितनी जांच हुई.
इन 13 बिंदुओं पर मांगी थी मदरसों की जानकारी: तत्कालीन कलेक्टर अविनाश लवानिया ने जिन 13 बिंदुओं पर सर्वे के लिए कहा था. उनमें मदरसा का रजिस्ट्रेशन, आय व्यय का ब्यौरा, मदरसे की जमीन की जानकारी, छात्रावास की स्थिति, बच्चों की डिटेल, खाने-पीने का इंतजाम आदि बिंदु प्रमुख थे. मदरसे का नाम, मदरसे का पूरा पता, मदरसा संचालक का पूरा नाम और मोबाइल नंबर, संचालन कब से हो रहा है इसकी पूरी जानकारी, मदरसा बोर्ड का पंजीयन है या नहीं और है तो कहां से है?, मदरसे में अध्ययनरत बच्चे कहां के रहने वाले हैं, उनका पूरा ब्यौरा. इन बच्चों के सभी दस्तावेज हैं या नहीं और जो हैं, उनका पूरा वेरिफिकेशन. बच्चों के मदरसों में पढ़ने के लिए उनके माता-पिता की सहमति है या नहीं. अधिकतर बच्चे किस आयु वर्ग के हैं. यह भी पता करना है कि मदरसे में कोई छात्रावास चल रहा है या नहीं, यदि चल रहा है तो उसके दस्तावेज अलग से जांचे जाएं. यदि छात्रावास चल रहा है तो उसकी व्यवस्था अलग है या नहीं. मदरसा संचालित करने के लिए खर्च होने वाली राशि का ब्यौरा यानी उसका स्त्रोत क्या है? मदरसे के निरीक्षण के दौरान यदि कोई विशेष बात निरीक्षक ने महसूस की तो उसका भी ब्यौरा लिखा जाएगा. यह भी आदेश थे कि भले मदरसों का पंजीयन नहीं हो, फिर भी जांच करनी है. यह काम महिला एवं बाल विभाग के जिला परियोजना अधिकारी को करना था, लेकिन सर्वे करने के वाले कर्मचारियों को सर्वे के दौरान सहयोग नहीं मिलने से यह काम लगातार पिछड़ता गया. जानकारी मिली है कि आंगनबाड़ी में पदस्थ कार्यकर्ता और पर्यवेक्षक को मदरसों से जरूरी जानकारी नहीं दी जा रही है.
दो मदरसे बंद कराए गए:जून माह में भोपाल के भीतर जो दो मदरसे सामने आए थे. उन्हें पुलिस जांच के बाद बंद करवा दिया गया था. इनके अलावा शहर के नारियलखेड़ा और अशोका गार्डन इलाके में संचालित दो अवैध मदरसों को भी बंद कराया गया. मप्र बाल संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य बृजेश चौहान ने बताया कि उनकी तरफ से पुलिस को पत्र लिखकर समस्त मदरसों की जांच व गिनती के लिए कहा गया था, लेकिन पुलिस की तरफ से जवाब मिला कि वे इस मामले में सीधे तौर पर जांच नहीं कर सकते हैं. वहीं स्कूल शिक्षा की तरफ से संख्या बता दी गई कि हमारे पास प्रदेश में 2286 और भोपाल में 423 मदरसे ही पंजीकृत हैं. इनकी निगरानी ब्लॉक रिसोर्स कोर्डिनेटर के जरिए कराई जाती है. मामले में एडीसीपी से बात की तो उन्होंने बताया कि गिनती नहीं की है, लेकिन समय-समय पर सर्चिंग की जाती है. अब एक बार फिर आयोग की वर्तमान टीम ने इस मामले में जांच की मांग की है.