ग्वालियर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शनिवार को ग्वालियर के ऐतिहासिक दुर्ग पर स्थित सिंधिया स्कूल के 125वें स्थापना दिवस समारोह में शिरकत की. इस दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान, मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कई नेता शामिल हुए. इस दौरान सिंधिया स्कूल को दुल्हन की तरह सजाया गया. इस दौरान पीएम मोदी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि ''ग्वालियर की ये धरती पीढ़ियों को प्रेरित करने वाली है. ग्वालियर से मेरा विशेष नाता है, एक तो में काशी का सांसद हूं और काशी का संरक्षण करने में सिंधिया परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. आज काशी का विकास हो रहा है उसे देखकर गंगाबाई और महाराज माधोराव की आत्मा प्रसन्न हो रही होगी.''
सिंधिया हमारे दामाद हैं: पीएम मोदी ने कहा कि ''ग्वालियर से मेरा दूसरा नाता है, ज्योतिरादित्य सिंधिया हमारे गुजरात के दामाद हैं इसलिए मेरा उनसे दूसरा रिश्ता है. मेरा गांव गायकबाड़ स्टेट का गांव था और उन्होंने पहला प्राथमिक स्कूल बनवाया था. उसमे मैंने मुफ्त में शिक्षा ग्रहण की थी.'' उन्होंने कहा कि ''60 साल से डिमांड हो रही थी की जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई जाए, ये काम हमारी सरकार ने किया है. दशकों से मुस्लिम महिलाए तीन तलाक कानून बनाने की डिमांड कर रही है वह हमने किया. मेरे पास काम काम की इतनी बड़ी लिस्ट है कि पूरी रात बीत जायेगी.''
महिलाओं के रिजर्वेशन का कानून बनाया:पीएम मोदी ने कहा कि 'अभी कुछ सप्ताह पहले ही लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के रिजर्वेशन का क़ानून बनाया गया है. यह काम भी दशकों से पेंडिंग थे. यदि हमारी सरकार कुछ बड़े फैसले नहीं लेती, तो उसका बोझ अगली पीढ़ियों को उठाना पड़ता. इन फैसलों के माध्यम से मैंने आपकी जनरेशन का कुछ बोझ हल्का कर दिया है. भारत का बढ़ता हुआ सामर्थ्य हर सेक्टर में आपके लिए नई पॉसिबिलिटी बना रहा है. साल 2014 से पहले कुछ 100 स्टार्टअप हुआ करते थे. आज भारत में स्टार्टअप का आंकड़ा एक लाख के आसपास पहुँच रहा है.
पूरे विश्व में भारत की धाक: पीएम नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि''पूरे विश्व में भारत की धाक जमा हुई है. अभी G-20 में कैसे भारत का परचम लहराया यह सबने देखा है. ग्वालियर में तो एयरफोर्स का सबसे बड़ा बेस है आज भारत के लिए कुछ भी असंभव नहीं है.'' पीएम मोदी ने कहा कि ''एक पुरानी कहावत है कि यदि एक साल का सोच रहे हैं, तो अनाज बोइये. अगर एक दशक का सोच रहे हैं, तो फलवाले पेड़ लगाइये और यदि एक शताब्दी का सोच रहे हैं, तो शिक्षा से जुड़ी संस्थाएं बनाइये.''