MP Sickle Cell Anemia Mission: सरकार का 2047 तक 'एनीमिया मुक्त' भारत का लक्ष्य, PM मोदी ने बताया कितनी खतरनाक है यह बीमारी - सिकल सेल एनीमिया के लक्षण
What is Sickle Cell Anemia: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहडोल में सिकल सेल एनीमिया के मिशन को लॉन्च किया. मोदी सरकार का लक्ष्य है कि साल 2047 तक भारत इस बीमारी से पूरी तरह मुक्त हो जाए. इस मौके पर पीएम ने कहा कि ''इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है, इसलिए उनके लिए ब्लड बैंक खोले जा रहे हैं. उनके इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा बढ़ाई जा रही है.''
सिकल सेल एनीमिया के मिशन को लॉन्च किया
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Published : Jul 2, 2023, 7:53 AM IST
शहडोल।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को शहडोल जिले के लालपुर मैदान पहुंचे, जहां उन्होंने सिकल सेल एनीमिया के मिशन को लॉन्च किया और उस कार्यक्रम में कई अहम बातें भी कहीं (Sickle Cell Anemia Mission Launched). सिकल सेल एनीमिया को लेकर अपने अनुभव ही बताए और उस बीमारी की भयावहता को भी आम लोगों से शेयर किया. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन अभियान अमृत काल का प्रमुख मिशन बनेगा.
सिकल सेल एनीमिया को लेकर बोले पीएम:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ''मैंने जनजातीय परिवारों के बीच में काफी समय व्यतीत किया है. मैं उनकी पीड़ा से भली-भांति वाकिफ हूं. मैंने मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन के लिये कार्य किया. जनजातीय क्षेत्रों से सिकल सेल उन्मूलन के लिये जापान में की गई यात्रा के दौरान नोबल पुरूस्कार विजेता वैज्ञानिक से भी मदद मांगी. आज प्रारंभ हुआ अभियान 17 राज्यों 238 जिलों के 7 करोड़ लोगों की स्क्रीन का कार्य करेगा. सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन को हमने आजादी के अमृत काल का प्रमुख मिशन बनाया है. वर्ष 2047 तक भारत को इस बीमारी से मुक्त करना हमारा लक्ष्य है.''
उन्मूलन के लिए ब्लड बैंक खोले जाएंगे:प्रधानमंत्री मोदी ने बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ''जनजाति के भाई-बहन इस बीमारी से असहनीय पीड़ा से गुजरते हैं. इसके उन्मूलन के लिए ब्लड बैंक खोले जाएंगे. बोन-मैरो ट्रांसप्लांट के सेंटर बढ़ाए जा रहे हैं. बीमारी के उन्मूलन के लिए 0 से 40 वर्ष तक के प्रत्येक सदस्य की स्क्रीनिंग करना जरूरी है.'' प्रधानमंत्री मोदी ने आव्हान किया कि जनजाति के सभी बंधु अभियान से जुड़ें और अपना कार्ड बनवाएं. समाज जितना आगे आएगा बीमारी से मुक्ति में उतनी ही आसान होगी.
सिकल सेल एनीमिया के मिशन को लॉन्च किया
सिकल सेल काउसलिंग कार्ड किये वितरित:प्रधानमंत्री मोदी ने सिकल सेल एनीमिया उन्मूनल कार्यक्रम में प्रतिकात्मक रूप से मध्यप्रदेश के 3 और छत्तीसगढ़ के 2 हितग्राहियों को सिकल सेल काउसलिंग कार्ड प्रदान किये. उन्होंने मध्यप्रदेश की मीना सिंह गोंड़, हेमराज कोल और राजेन्द्र सिंह गोंड के साथ छत्तीसगढ़ की मंदाकिनी नााथ जोगी और दीपक कुमार को कार्ड़ प्रदान किये.
दुनिया के आधे मामले हमारे देश में:प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ''आज मध्यप्रदेश से राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की शुरूआत हो रही है. यह संकल्प है देश के जनजातीय भाई-बहनों के जीवन को सुरक्षित करने का. इस अभियान के लिये मध्यप्रदेश सरकार बधाई की पात्र है. यह संकल्प है ढाई लाख बच्चों और उनके परिवार को बचाने का. सिकल सेल एनीमिया अत्यंत कष्टदायक बीमारी होती है. यह माता-पिता से ही बच्चों में आती है, यह बीमारी आनुवांशिक है. इस बीमारी के दुनिया के आधे मामले हमारे देश में हैं.'' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ''मैं और मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल 50 वर्ष से इस बीमारी को दूर करने के लिये कार्य कर रहे हैं. इस बीमारी की जांच बहुत आवश्यक है. जांच के बाद व्यक्ति को स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है. शादी से पहले स्वास्थ्य कार्ड अवश्य मिला लें, जिससे बीमारी बच्चों में न जाये.''
कष्टकारी है सिकल सेल एनीमिया: प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बताया कि ''सिकल सेल एनीमिया की बीमारी से हर साल लगभग ढाई लाख परिवार प्रभावित होते हैं.'' उन्होंने कहा कि ''मैंने देश के अलग-अलग जनजातीय बाहुल्य इलाकों में अपना समय व्यतीत किया है. सिकल सेल एनीमिया की बीमारी अत्यंत कष्टप्रद है, इसमे मरीज के जोड़ो में दर्द, सूजन, थकावट, पीठ एवं पैर में असहनीय दर्द होता है. यह बीमारी परिवार को बिखेर कर रख देती है. यह बीमारी माता-पिता से बच्चों में आती है, जिसके कारण बच्चा जीवन भर चुनौतियों से जूझता है.''
गंभीर बीमारियों को खत्म करने करने के प्रयास:प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ''हमारी सरकार सभी गंभीर बीमारियों को समाप्त करने के लिये दिन-रात मेहनत कर रही है. इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप वर्ष 2025 तक हम टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिये कार्य कर रहे हैं. वर्ष 2013 में काले ज्वर के 11 हजार मामले थे, जो आज घट कर 1000 से भी कम रह गये हैं. वर्ष 2013 में मलेरिया के 10 लाख मामले थे, वर्ष 2022 में यह घट कर 2 लाख से कम हो गये हैं. वर्ष 2013 में कुष्ठ रोग के सवा लाख मरीज थे, जो 70-75 हजार रह गये हैं. दिमागी बुखार के मरीजों की संख्या में भी बहुत कमी आई है.'' उन्होंने कहा कि ''बीमारी कम होती है तो लोग दुख, पीड़ा, संकट से मुक्त होते हैं, मृत्यु भी कम होती है.''