ग्वालियर।मध्यप्रदेश के ग्वालियर में PHE विभाग में हुए 16 करोड़ 24 लाख रुपए के घोटाले में नया खुलासा हुआ है. जहां जालसाजों ने PHE विभाग के रिटायर्ड, दिवंगत कर्मचारियों को सरकारी रिकार्ड में जिंदा रखा और इनके नाम से वेतन और भत्ते निकालते रहे. साथ ही चुराई गई रकम को अलग-अलग 71 बैंक खातों में ट्रांसफर करते रहे. क्राइम ब्रांच घोटाले के असली मास्टरमाइंड तक पहुंचने की कोशिश में है, क्योंकि जिन कर्मचारियों की मौत हो चुकी है, उनकी अटेंडेंस से लेकर ड्यूटी तक दर्शाई गई है. ऐसे में संभावना है कि घोटाला 16 करोड़ से बढ़कर 50 करोड़ तक पहुंच सकता है.
PHE विभाग में 16 करोड़ 24 लाख का घोटाला: ग्वालियर के PHE विभाग खंड क्रमांक 1 में 16 करोड़ 24 लाख रुपए के घोटाले के खुलासे के बाद पूरा महकमा हिला हुआ है. इस मामले में क्राइम ब्रांच थाने में एफआइआर दर्ज की गई है. पहली पड़ताल में PHE विभाग का बाबू हीरालाल और उसका भतीजा कंप्यूटर ऑपरेटर राहुल आर्य की भूमिका सामने आई है. हीरालाल क्राइम ब्रांच के रडार पर है और राहुल बीते 8 दिनों से पुलिस की रिमांड पर है. पूछताछ में राहुल हर दिन एक नए राज घोटाले के खोल रहा है.
रिटायर्ड और मृत कर्मचारियों को रिकॉर्ड में रखा जिंदा:नया खुलासा यह हुआ है कि PHE विभाग के रिटायर्ड और लगभग 25 दिवंगत (मृत) कर्मचारियों को सरकारी रिकॉर्ड में जिंदा रखा गया. उन्हें ड्यूटी पर दर्शाते हुए उनकी अटेंडेंस लगाई जाती रही, इतना ही नहीं उनके वेतन और भत्ते अपने रिश्तेदार और परिचितों के अलग-अलग 71 बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए. यह पूरा खेल पिछले 5 सालों से ट्रेजरी और PHE विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से चलता रहा. वहीं क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज होने के बाद फर्जी तरीके से वेतन भुगतान लेने वाले लोगों ने 2 करोड़ 50 लाख रुपए से अधिक की राशि विभाग को जमा करा दी है. अब पुलिस की नजर घोटाले के असली मास्टरमाइंड पर है, क्योंकि पुलिस अभी तक हीरालाल को ही घोटाले का मास्टरमाइंड समझ रही थी, लेकिन उसके पीछे भी और कोई है, जिसका खुलासा हीरालाल की गिरफ्तारी के बाद ही हो पाएगा.