भोपाल। एटीएस (Anti-Terrorism Squad) ने एमपी में बीते एक साल में पीएफआई (Popular Front of India) से जुड़े 22 पीएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, वहीं 100 से अधिक पीएफआई मेंबर को पकड़ा गया था लेकिन पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया. बीते माह इनके खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर कोर्ट में 5 हजार पन्नों की एक चार्जशीट पेश की गई. अब बड़ी जानकारी यह सामने आ रही है कि महाराष्ट्र से सटे जिलों में अभी भी बेहद सूक्ष्म रूप में पीएफआई सक्रिय है, लेकिन इस बार नए तरीकों से काम किया जा रहा है.
इंटेलीजेंस के सूत्र बताते हैं कि पीएफआई का फोकस अब उत्तर भारत के राज्य हैं और इसके लिए उन्होंने एमपी को बेस कैंप बनाने का प्रयास किया. इसके बाद एटीएस की कार्रवाई हुई तो सभी गतिविधियों को बंद कर दिया. लेकिन अब एक बार फिर मंडला, खंडवा, बुरहानपुर, खरगोन, उज्जैन, रतलाम, शाजापुर में इनकी सक्रियता है. यह लोग परिवार के साथ मिलकर बात करते हैं. सीधे तौर पर देश विरोधी बात करने से बच रहे हैं, लेकिन पीड़ितों से मिलकर उनकी समस्याओं पर बात करते हैं और फिर सिस्टम के खिलाफ बात करते हैं. अभी कुछ शिकायतें मिली हैं, लेकिन ठोस प्रमाण के अभाव में इनकी गिरफ्तारी नहीं हो पा रही है.
एमपी निशाना इसलिए?:पीएफआई एमपी के रास्ते राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड समेत दूसरे तक अपना नेटवर्क स्थापित कर रही है. इसके लिए इन लोगों ने खंडवा, बुरहानपुर, बड़वानी, इंदौर, उज्जैन, शाजापुर रतलाम, मंदसौर जिलों के रास्ते एक रास्ता तैयार किया है. इसीलिए 22 की गिरफ्तारी के बाद एटीएस के अधिकारियों ने इन्हीं जिलों में अपना फोकस बढ़ा दिया है. बता दें कि यह सभी सिमि गतिविधियों वाले जिले हैं, जो पूर्व में एमपी में आतंकी वारदातों को अंजाम दे चुकी है.