छिंदवाड़ा।परंपरा को जीवित रखने का जुनून और आस्था का अनूठा संगम 135 सालों से लगातार जारी एमपी के छिंदवाड़ा की श्री रामलीला मंडल में देखने को मिलता है, 1 महीने पहले से अपने निजी कामों को छोड़कर करीब 600 लोग रामलीला की तैयारी में लग जाते हैं. किसी की चौथी पीढ़ी तो किसी की पांचवीं पीढ़ी अब इस रामलीला में अपनी भूमिका अदा करते नजर आती है, मध्य प्रदेश की सबसे पुरानी रामलीला का खिताब भी इनके पास है. (135th Year Grand Staging of Ramleela)
1889 से शुरू हुई रामलीला 600 लोग करते हैं काम:छिंदवाड़ा की छोटी बाजार श्री राम मंदिर में 1889 में रामलीला की शुरुआत की गई थी, अब करीब 600 लोग रामलीला समिति में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं. कोई मंच में किरदार होता है तो कोई मंच के पीछे तैयारी का पहरेदार होता है. 135 साल पहले शुरू हुई इस श्री रामलीला में संसाधनों का अभाव था, लालटेन की रोशनी और मिट्टी से मेकअप किया जाता था. फिर दौर बदलता गया संसाधनों में बढ़ोतरी होती है और अब आधुनिक तकनीक और 3D का सहारा लेकर रामलीला को आकर्षक बनाया गया है, लेकिन संस्कार और परंपरा श्री रामचरितमानस और प्राचीन तौर की ही हैं.