भोपाल।मध्यप्रदेश में बाघों की बहार है. मध्यप्रदेश में सातवें टाइगर रिजर्व के प्रस्ताव को मोदी सरकार की मंजूरी मिल चुकी है. इसका नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है. बफर और कोर एरिया को लेकर बंटवारा किया गया है. ये टाइगर रिजर्व सागर-दमोह-नरसिंहपुर तक फैला होगा. इसमे 14 लाख हेक्टेयर से अधिक का एरिया होगा. मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह का कहना है कि हमारी लंबे समय से ये मांग थी कि नौरादेही को टाइगर रिजर्व घोषित किया जाए. एमपी सरकार का प्रस्ताव केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है. रानी दुर्गावती अभ्यारण्य और नौरादेही को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाया गया है. अब इसे दुर्गावती टाइगर रिजर्व कहा जायेगा.
अभी 6 टाइगर रिजर्व हैं :बता दें कि वर्तमान में मध्य प्रदेश में 6 टाइगर रिजर्व हैं. पालपुर कूनो राष्ट्रीय उद्यान व रातापानी राष्ट्रीय अभ्यारण्य में टाइगर रिजर्व प्रस्तावित हैं. गौरतलब है कि भारत में टाइगर प्रोजेक्ट के जन्मदाता कैलाश सांखला है. इन्हें भारत का टाइगर मैन भी कहा जाता है. ये राजस्थान के हैं. भारत में 1973 में टाइगर प्रोजेक्ट की शुरुआत जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड से की गई थी. यह भारत का प्रथम टाइगर रिजर्व बनाया गया. वहीं, वन्य प्राणियों के लिए काम करने वाले एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि अभी भी इस क्षेत्र में 65 गांवों का विस्थापन का मामला लंबित है. इसके साथ ही नौरादेही में जो बाघ छोड़े गए थे, उनकी संख्या में वृद्धि क्यों नहीं हो पाई है.