भोपाल।कोई खिलाड़ी जब बुलंदियों पर होता है तो उसे सिर्फ जीत और हार की दृष्टि से ही पहचाना जाता है. वह जीत जाता है तो सबकी पलकों पर और हार जाता है तो लोग उसे पूछते भी नहीं है. लेकिन इन खिलाड़ियों के जीवन में इनके पीछे कई संघर्ष की कहानियां है. इन्हीं में से एक है नितिका आकरे. भोपाल के पास देवास के एक छोटे से गांव में रहने वाली नीतिका, फिलहाल पोल वॉल्ट यानी बांस कूद में राष्ट्रीय चैंपियन खिलाड़ी हैं और मध्य प्रदेश से इस खेल में नाम कमाने वाली पहली महिला खिलाड़ी.
मामा ने किया पालन-पोषण:नितिका बताती हैं कि उनके पिता किसान हैं. देवास के खातेगांव के पास ही इनका घर है. घर में मां बाप के अलावा एक भाई है. पिता किसानी करते हैं और उसी से परिवार का भरण पोषण होता था. ऐसे में जब नितिका 3 साल की थी तब परिवार की पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए पिता ने उन्हें अपने साले यानी नितिका के मामा के यहां रहने छोड़ दिया. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते नितिका का भरण पोषण मामा के घर पर ही हुआ और यहीं पर मामा ने ही उन्हें खेलों से जुड़ने के लिए प्रयास शुरू किया. नितिका कहती हैं कि अगर उनके मामा नहीं होते तो वह आज इस मुकाम पर नहीं होती क्योंकि उन्होंने ही इन्हें पाल-पोष कर बड़ा किया है और शिक्षा भी दिलाई है.
नर्मदा की रेत पर रनिंग की शुरुआत: नितिका बताती हैं कि खातेगांव में जिस जगह पर इनके मामा का घर है वहां से थोड़ा किलोमीटर दूर ही नर्मदा नदी भी बहती है, और नर्मदा से निकलने वाली नहर भी उनके गांव के पास से जाती है. ऐसे में इनके मामा नितिका को सुबह-सुबह नर्मदा में डुबकी लगाकर नर्मदा के किनारे ही दौड़ लगवाया करते थे. रेत पर दौड़ लगाने के कारण नितिका की रनिंग अच्छी होनी शुरू हो गई और वह स्कूल में भी कई अवार्ड जीतने लगी. जिसके बाद उन्होने भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में रनिंग के लिए ट्रायल दिए.