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Independence Day 2023: शान से लहराए जाने वाले तिरंगे का क्या है ग्वालियर 'कनेक्शन', देश के 22 राज्यों से आई राष्ट्रीय ध्वज की डिमांड - Gwalior manufactures tiranga

देश की आन बान शान हमारा तिरंगा जब आसमान में लहराता है तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. तिरंगे के निर्माण की बात होती है तो सबसे पहले ग्वालियर का नाम आता है. पूरे उत्तर भारत में एक मात्र ग्वालियर ऐसा जिला है, जहां पर हमारा तिरंगा तैयार किया जाता है. खास बात यह है कि इन तिरंगों का निर्माण करने की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर है.

Madhya Bharat khadi sangh manufactures tiranga
शान से लहराए जाने वाले तिरंगे का क्या है ग्वालियर 'कनेक्शन

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Published : Aug 11, 2023, 9:59 AM IST

Updated : Aug 11, 2023, 10:38 AM IST

ग्वालियर में महिलाएं करती हैं तिरंगे का निर्माण

ग्वालियर।ग्वालियर में उत्तर भारत की एकमात्र संस्था मध्य भारत खादी संघ तिरंगों का निर्माण करती आ रही है. यहां से बने तिरंगे देश के अलग-अलग राज्यों में जाते हैं और सरकारी एवं गैर सरकारी इमारतों पर शान से लहराए जाते हैं. स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस के मौके पर यहां देश की कोने कोने से तरंगों की मांग होती है. इस बार के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यहां 22 से अधिक राज्यों से तिरंगों के ऑर्डर आए हैं. इन्हें बनाने के लिए संस्था की महिला कर्मचारी दिन-रात जुटी हुई हैं. यहां के बने तिरंगों की इतनी डिमांड है कि उसकी पूर्ति भी मध्य भारत खादी संघ नहीं कर पा रहा है.

अलग-अलग कैटेगेरी के तिरंगे :मध्य भारत खादी संघ वर्तमान में अलग-अलग कैटेगेरी के तिरंगे तैयार कर रहा है. जिसमें कपड़े की क्वालिटी, चक्र का साइज, रंग जैसे मानक शामिल हैं. इसके साथ ही तिरंगा तैयार होने के बाद लैब में कई जटिल मानकों से गुजरना होता है. मध्य भारत खादी संघ संस्था द्वारा किसी भी आकार की तिरंगों को तैयार करने में उनकी टीम को लगभग दो से तीन दिन का समय लगता है. लैब में ट्रेकिंग के बाद जब राष्ट्रीय ध्वज पूरी तरह तैयार हो जाता है तो उसे बाहर निकाला जाता है. ग्वालियर स्थित मध्य भारत खादी संघ ISI प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करती है.

आईएसआई प्रमाणित संस्था :देशभर में सिर्फ तीन संस्थाएं ऐसी हैं जो आईएसआई प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करती हैं. पहली कर्नाटक के हुगली में स्थापित है तो दूसरी मुंबई में और तीसरी ग्वालियर में है. ग्वालियर के मध्य भारत खादी संघ द्वारा बनने वाले तिरंगे मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, जम्मू कश्मीर सहित 20 राज्यों में पहुंचाये जाते हैं. मध्य भारत खादी संघ में निर्माण इकाई की प्रमुख नीलू ने ईटीवी भारत को बताया है कि वर्तमान में यहां पर 15 अगस्त को लेकर तिरंगे तैयार किया जा रहे हैं. हमारे कर्मचारी दिन-रात तिरंगों का निर्माण कर रहे हैं. नीलू ने बताया है कि अभी मध्य भारत खादी संघ तीन प्रकार की कैटेगेरी की तरंगे तैयार कर रहा है. जिनमें 2×3, 3×4.5 और 6×4 साइज के तिरंगे हैं. हमारे कर्मचारी पूरे दिनभर में लगभग 50 से 60 झंडा तैयार करते हैं.

22 राज्यों से आई डिमांड :नीलू ने बताया है कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मध्य भारत खादी संघ को 22 राज्यों से तिरंगों की डिमांड आई है. अभी तक 15 हजार से अधिक राष्ट्रीय ध्वज तैयार करके सप्लाई किए जा चुके हैं. 15 अगस्त के मौके पर मध्य भारत खादी संघ को लगभग 5 करोड़ की राशि के ध्वज निर्माण का ऑर्डर मिला है. संघ में तिरंगों का निर्माण 90 फ़ीसदी महिलाएं करती हैं. खास बात यह है कि मध्य भारत खादी संघ निर्माण इकाई देशभर की ऐसी पहली संस्था है, जिसमे तिरंगों की निर्माण की जिम्मेदारी महिलाओं के हाथों में है.

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संघ को 1956 में मिला आयोग का दर्जा :वहीं मध्य भारत खादी संघ के मंत्री रमाकांत शर्मा ने बताया है कि संघ की स्थापना साल 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी. साल 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला और उसके बाद साल 2016 से यह संस्था आईएसआई प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कर रही है. ये उत्तर भारत की पहली ऐसी संस्था है, जो आईएसआई तिरंगे का निर्माण करती है. मध्य भारत खादी संघ द्वारा तैयार की गई अलग-अलग कैटेगरी के तिरंगे देशभर के 20 राज्यों में सप्लाई किए जाते हैं और सभी शासकीय और अशासकीय इमारतों पर शान से फहराए जाते हैं.

Last Updated : Aug 11, 2023, 10:38 AM IST

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