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MP News: भोपाल में RSS ने बुलाई बड़ी बैठक, यूनीफॉर्म सिविल कोड पर होगा मंथन - यूनीफॉर्म सिविल कोड कब लागू होगा

यूनीफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट पर चर्चा करने के लिए भोपाल में कई बड़ी बैठकें होने वाली हैं. 3 दिनों तक चलने वाली ये बैठक RSS ने बुलाई है. (Uniform Civil Code in India)

draft of Uniform Civil Code
समान नागरिक संहिता कानून

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Published : Jun 25, 2023, 5:44 PM IST

भोपाल। समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट पर मंथन करने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष पदाधिकारी भोपाल में जुटने जा रहे हैं. संघ के शीर्ष नेतृत्व के अलावा देश भर के विषय विशेषज्ञ भोपाल में 30 जून से लेकर 2 जुलाई तक भोपाल में जुटेंगे और यूनीफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) सहित कई मुद्दों पर मंथन किया जाएगा. इसको पूरा करने के लिए समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने 22 वें विधि आयोग ने आम लोगों, संस्थाओं और धार्मिक संगठनों से 14 जुलाई तक सुझाव मांगे हैं.

यह पदाधिकारी होंगे शामिल:माना जा रहा है कि मोदी सरकार चुनाव के पहले समान नागरिक संहिता के रूप में अपनी एक और बड़ी घोषणा पूरी कर देगी. इसके लिए जोर-शोर से तैयारियां की जा रही है. इसी दौरान आरएसएस ने भोपाल में 3 दिन की बड़ी बैठक बुलाई है. इस बैठक में संघ के थिंक टैंक कहे जाने वाले सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सह कार्यवाह अरूण कुमार और सुरेश सोनी जैसे शीर्ष पदाधिकारी शामिल होंगे. इस बैठक में देश भर से करीबन 300 विषय विशेषज्ञों को भी आमंत्रित किया गया है. यह सभी 3 दिन तक समान नागरिक संहित के ड्राफ्ट को लेकर मंथन करेंगे. यह बैठक संघ के अनुषांगिक संगठन प्रज्ञा प्रवाह द्वारा बुलाई गई है.

सिविल ट्रैक की बैठक: इंदौर में 1 और 2 जुलाई को इंदौर में सी-20 सिविल ट्रैक की बैठक बुलाई गई है. इसमें भी समाज से जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर चर्चा की जाएगी. इस बैठक में विदेश से भी विशेषज्ञों को बुलाया गया है. बैठक में केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीएम शिवराज सिंह चैहान और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे शामिल होंगे.

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आखिर बीजेपी क्यों लागू करना चाहती है यूसीसी:समान नागरिक संहिता का मतलब देश में एक समान कानून है. इसके जरिए देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाने का प्रयास किया जा रहा है. यह सभी धर्मों को मानने वाले लोगों पर प्रभावी होगा. मौजूदा समय में हिंदू, ईसाई, पारसी, मुस्लिम जैसे विभिन्न धार्मिक समुदाय विवाह, तलाक, उत्तराधिकारी और गोद लेने के मामलों में अपने पर्सनल लाॅ का पालन करते हैं, हालांकि देश में आपराधिक कानून सभी के लिए एक जैसे हैं.

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