भोपाल।नेशनल हेराल्ड की आंच दिल्ली के बाद अब भोपाल में भी आ गई है, नेशनल हेराल्ड के नाम पर जमीन लिए जाने और उसका कमर्शियल उपयोग पर अब शिवराज सरकार के मंत्री सख्त दिखाई दे रहे हैं. इसी के तहत नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सख्ती दिखाते हुए भोपाल की नेशनल हेराल्ड के नाम पर दी गई जमीन पर कमर्शियल उपयोग को लेकर कड़ी आपत्ति जताते हुए उसे सील करने की बात कही है. (National Herald Case)
सील होगी नेशनल हेराल्ड की भोपाल स्थित संपत्ति जांच समिति का हुआ गठन:भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि, "बिल्डिंग का कमर्शियल उपयोग करने पर सील करने की कार्रवाई होगी, कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम पर जमीन ली और उस संपत्ति को अपने नाम करा लिया. नेशनल हेराल्ड की संपत्ति की जांच को लेकर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित करने के निर्देश दे दिए हैं, नेशनल हेराल्ड से जुड़ी संपत्तियों की जांच मध्य प्रदेश सरकार करेगी." मंत्री भूपेंद्र सिंह ने नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिए हैं, साथ ही कहा है कि "कोर्ट में लंबे समय तक मामले के लंबित पड़े रहने को लेकर भी जांच समिति अपनी रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी."
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एमपी में समिति करेगी पूरी जांच:दरअसल मामला नेशनल हेराल्ड से जुड़ा है और इस पर दिल्ली में कार्रवाई चल रही है तो अब मध्य प्रदेश के मंत्री भी एक्शन में आ गए हैं, भूपेन्द्र सिंह ने यह भी कहा कि "मामले को कोर्ट में सही तरीके से नहीं उठाने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी. भूखंड आवंटित करने वाले अधिकारियों की जांच भी समिति करेगी और एक महीने में नेशनल हेराल्ड केस आवंटित संपत्तियों की पूरी जांच करके देगी." (Committee will investigate MP National Herald case)
कांग्रेस फिर जाएगी कोर्ट: वहीं मंत्री भूपेंद्र सिंह के बयान पर कांग्रेस ने कहा है कि, "जब परमिशन में दी गई तब बीजेपी सरकार सत्ता में थी." कांग्रेस पूरे मामले पर फिलहाल बीजेपी सरकार का रुख देख रही है, वहीं सूत्रों की मानें तो इस मामले में कांग्रेस फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.
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ये है नेशनल हेराल्ड मामला:भोपाल में नेशनल हेराल्ड प्रकाशन के लिए 1981 में एक लाख रुपये में एक एकड़ भूमि महाराणा प्रताप नगर में 30 साल की लीज पर आवंटित की थी, 2011 में जब लीज नवीनीकरण का आवेदन भोपाल विकास प्राधिकरण के सामने आया तो शर्तों के उल्लंघन का मामला पाते हुए लीज को निरस्त करने की कार्रवाई प्रारंभ की. इसके विरोध में नेशनल हेराल्ड का प्रबंधन न्यायालय पहुंच गया, इसके साथ ही दुकानों ने भी याचिका दायर की दी. मामला भोपाल जिला न्यायालय में विचाराधीन है और 2007 से 2009 के बीच भूमि बेची गई है.