मुरैना/रीवा। एमपी के मुरैना में बनने वाली गजक और विंध्य को पहचान दिलाने वाले रीवा के सुंदरजा आम को जीआई टैग मिल गया है. मध्यप्रदेश के मुरैना जिले की खस्ता करारी और मशहूर गजक की देश-दुनिया में डिमांड है. गजक का स्वाद ऐसा है कि हर कोई इसका दीवाना है. सर्दी के सीजन में इसकी बिक्री कई गुना बढ़ जाती है. वहीं रीवा के गोविंदगढ़ के बगीचों के सुंदरजा आम के मिठास की दुनिया कायल है. सुंदरजा आम की विदेशों में भी काफी डिमांड है. अब विंध्य क्षेत्र के सुंदरजा और मुरैना की गजक को जीआई टैग दे दिया गया है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सीएम शिवराज समेत कई नेताओं ने Tweet कर प्रसन्नता जताई है.
रीवा का सुंदरजा आम: रीवा के गोविंदगढ़ और कुठूलिया में स्थित प्रदेश का सबसे बड़ा आम अनुसंधान केंद्र स्थापित है. इस अनुसंधान केंद्र के बगीचे में करीब 150 प्रजाती के आम के पेड़ मौजूद है. इन आमों के बीचसुंदरजा आम का भी उत्पादन होता है, जो देश के अलावा विदेशों में भी मशहूर है. वैसे तो फलों का राजा आम होता है, लेकिन यहां 'आमों का राजा सुन्दरजा आम' है. इस आम की खासियत ये है कि इस आम में शुगर की मात्रा कम होने के कारण इसका स्वाद Diabetic Patients भी चख सकते है. इतना ही नहीं वर्ष 1968 में भारत सरकार की ओर से सुन्दरजा आम के नाम से 50 पैसे वाला एक डाक टिकट भी जारी किया था. फल अनुसंधान केंद्र कुठुलिया के वैज्ञानिक डॉ. टीके सिंह ने कुछ साल पहले सुंदरजा आम को GI Tag दिलाने के लिए अप्लाई किया था.
ये है भारत सरकार का 'स्टाम्प वाला आम', डायबटीज के मरीज भी ले सकते है स्वाद
मुरैना की गजक:मैं चंबल की घाटी हूं, सदियों से मुझे क्रांतिकारी, बागियों और दस्यु समस्या के चलते नकारात्मक नजरिए से ही देखा गया, लेकिन अब मेरे आंचल में बहने वाले पानी की मिठास देश ही नहीं विदेश में भी अपनी सकारात्मक पहचान बनाएगी. जी हां, यह 10, 20, 30 साल में नहीं बल्कि कई दशकों के प्रयासों के बाद संभव हुआ. अब चंबल के मीठे पानी से बनी गजक को केंद्र सरकार ने जीआई टैग (ज्योग्राफिकल इंडिकेटर टैग) दे दिया है. 100 साल पहले सर्दियों की मिठाई के रूप में गुड़़ और तिली को मिलाकर तैयार की गई गजक की देश ही नहीं विदेश में भी पहचान है. आज तकरीबन 20 से 22 बैरायटी की गजक यहां तैयार की जाती है जो मुरैना से देश के उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, छग, महाराष्ट्र सहित अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, सिंगापुर, थाइलैंड तक एक्सपोर्ट होती है.