दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

सरकार व सिस्टम के सरोकार को सांसद ने जमकर धोया, संसद में गूंजी आम आदमी की आवाज - राइट टू वर्क

केंद्र सरकार का वह बयान जिसमें स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोरोना काल में ऑक्सीजन से एक भी मौत नहीं हुई, इन दिनों सुर्खियों में है. जनता ही जन प्रतिनिधि भी इस बयान का मर्म ढूंढ रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी पार्टी की ओर से नहीं बल्कि उन लाखों लोगों की ओर से बोल रहे हैं जिन्होंने अपनी जान गंवा दी. जानें उन्होंने क्या कहा और क्यों भरी संसद में भावुक हो गए.

system
system

By

Published : Jul 22, 2021, 11:35 AM IST

Updated : Jul 22, 2021, 12:06 PM IST

नई दिल्ली :कोरोना की दूसरी लहर की बेबसी को राज्यसभा में आरजेडी सांसद मनोज झा ने जब आवाज दी तो लगा कि संसद में आम आदमी बोल रहा है. उन्होंने ऑन द रिकॉर्ड यह भी कहा कि वे किसी पार्टी की ओर से नहीं बल्कि लाखों पीड़ितों की ओर से बोल रहे हैं. आरजेडी सांसद ने बिना तीखे शब्दों के सरकार और सिस्टम के सरोकार पर गहरी चोट की जिसे पक्ष-विपक्ष दोनों ने सराहा.

आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि लोग आंकड़ों की बात करते हैं लेकिन आप अपनी पीड़ा में आंकड़े ढूंढिए. कहा कि इस सदन में ही नहीं बाहर सड़क पर भी ऐसा कोई नहीं मिलेगा जिसने किसी अपने को नहीं खोया है. इसलिए आंकड़ों बात नहीं करनी है. जो लोग चले गए वे जिंदा दस्तावेज छोड़ गए हैं. कुछ कहने-सुनने की जरुरत नहीं है. हम आंकड़ों की बात कर रहे हैं लेकिन गंगा में तैरने वाली लाशों पर पूरे सदन को शोक मनाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि यह किसी एक सरकार का फेलियर नहीं है. सिर्फ केंद्र का फेलियर नहीं है यह 1947 ले लेकर अब तक की सभी सरकारों का फेलियर है. हम कभी नहीं जानते थे कि अस्पताल और ऑक्सीजन का क्या कनेक्शन होता है लेकिन वह सब दिखा जिसे कोई नहीं देखना चाहता. सांसद ने कहा कि आप थैंक्यू बोलिए, हाथ चूमिए लेकिन गंगा में तैरती लाशों पर शोक जरुर मनाईए.

आरजेडी सांसद मनोज झा

मनोज झा ने कहा कि बाहर बड़ा सा बोर्ड लगा है मुफ्त वैक्सीनेशन. क्या है यह? मुफ्त राशन, मुफ्त ईलाज का नारा दिया जा रहा है लेकिन यह जानना चाहिए कि मुफ्त कुछ भी नहीं है. गांव का गरीब जब एक टिकिया साबुन का खरीदता है तो वह अडानी और अंबानी की संपत्ति में शेयर देता है. आप किसे मुफ्त का लालच दे रहे हैं. यह उनका अधिकार है.

सांसद ने राइट टू लाइफ और राइट टू वर्क की बात कही और सरकार से आग्रह किया कि जनसंख्या पर हंगामा करने की जगह जिंदगी और काम के अधिकार पर कानून लाइए, जिसकी आज जरुरत है. लाखों की जिंदगियां गईं, नौकरियां छिन गईं और हम यहां आंकड़ों के बहस पर उलझे हैं. कहा कि कंपनियां सांसदों तक की नहीं सुन रही हैं तो अदने से लोगों की कौन सुनेगा.

सांसद ने कहा कि जब हाहाकार मचा हुआ था तो कई चीजें हुईं. उस दौर में केंद्र ही नहीं कई राज्य सरकारें भी नदारत थीं. डेढ़ महीने देश ने कैसे बिताया है, यह सबने देखा. वे डेढ़ महीने कयामत की रात जैसे थे जिसे आम जनता ने झेला. तब कहा गया कि सरकार फेल नहीं थी सिस्टम फेल हुआ. सिस्टम के पीछे भी तो आदमी है. साफ बात ये है कि सरकारें फेल हुईं.

यह भी पढ़ें-मानसून सत्र के बीच आज से जंतर-मंतर पर किसानाें का प्रदर्शन

कहा कि मैं आहत हूं और जगाना चाहता हूं. जिंदगी में सम्मान चाहिए और मौत में उससे भी ज्यादा सम्मान चाहिए. कहा कि यदि मेरी कोई बात बुरी लगी हो तो मैं लाखों लोगों की लाशों की ओर से माफी मांगता हूं.

Last Updated : Jul 22, 2021, 12:06 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details