राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा जयपुर.विधानसभा चुनाव में इस बार भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बनने वाला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजमेर की जनसभा के जरिए इस बात के संकेत भी दे दिए थे. यही वजह है कि भाजपा लगातार गहलोत सरकार के भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठा रही है. राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने पेपर लीक प्रकरण के बाद अब होटलों में सीएम और उनके बेटे की हिस्सेदारी का मुद्दा उठाया है. मीणा ने इस बार सीएम और उनके बेटे के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों पर भी निशाना साधा. साथ ही आरोप लगाया कि जयपुर की फेयर माउंट होटल सहित अन्य जिलों की चार पांच सितारा होटलों में वैभव गहलोत की हिस्सेदारी है और इन सब में बेनामी व्यवसाय किया जा रहा है. वहीं, ब्लैक मनी को मॉरीशस के रूट से एक जोधपुर के एनआरआई डॉक्टर के जरिए व्हाइट कराया जा रहा है. मीणा ने आगे कहा कि उन्होंने जो भी आरोप लगाए गए हैं उन सब के सबूत उनके पास है. ऐसे में अब वो सभी सबूतों को लेकर शुक्रवार दोपहर एक बजे ईडी कार्यालय शिकायत दर्ज कराने जाएंगे.
पांच सितारा होटलों में बेनामी व्यवसाय - राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके बेटे वैभव गहलोत के साथ पुत्रवधू हिमांशी गहलोत के द्वारा पांच सितारा होटलों में बेनामी व्यवसाय किया जा रहा है. ऐसे व्यवसायों से अर्जित की गई राशि को विभिन्न माध्यमों से एकत्र कर वैभव और उनकी पत्नी डमी कंपनी सनलाइट कार रेंटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में स्थानांतरित कर रहे हैं. उन्होंने आगे आरोप लगाते हुए कहा कि होटल फेयर माउंट एक कंपनी ट्राइटन होटल एंड रिसॉर्ट प्राइवेट लिमिटेड के स्वामित्व में है. गहलोत ने एक शैल और फर्जी कंपनी शिवनार होल्डिंग्स लिमिटेड के नाम पर 96 करोड़ रुपए मॉरीशस में निवेश किया है. मीणा ने आरोप लगाते हुए कहा कि मिनर्वा होल्डिंग लिमिटेड एक हवाला कंपनी है, जो कि पनामा पेपर्स लीक में लिप्त थी और शिवनार फिड्यूशियरी लिमिटेड गहलोत परिवार के लिए जेटीसी फिड्यूशियरी सर्विसेज लिमिडेट द्वार बनाई गई एक शैल व डमी कंपनी है. जिसका उद्देश्य गहलोत परिवार के द्वारा कमाए गए काले धन को मॉरीशस रूट के जरिए सफेद करने का है.
इसे भी पढ़ें - राज्यसभा सांसद ने IT डिपार्टमेंट में 5000 करोड़ के घोटाले का लगाया आरोप, कहा- सीएम और उनके रिश्तेदार के खिलाफ ED में जाएंगे
उन्होंने कहा कि शिवनार होल्डिंग लिमिटेड ने घाटे में चल रही कंपनी फेयर माउंट होटल में आधा स्वामित्व भारी प्रीमियम कीमत पर खरीदा है. शिवनार होल्डिंग लिमिटेड ने मूल रूप से कंपनी के 50 फीसदी स्वामित्व के लिए भारी धनराशि का निवेश किया था और होटल के वास्तविक बाजार मूल्य को संतुलित करने के लिए शेयरों को कम हिस्सेदारी के लिए 100 रुपए के शेयर को 39 हजार रुपए और 2 हजार 200 रुपए प्रीमियम मूल्य पर खरीदा गया. उन्होंने आरोप लगाया कि वैभव गहलोत लंबे समय तक होटल फेयर माउंट में कानूनी सलाहकार रहे हैं और बोगस ट्रैवलिंग बिल बनाए जा रहे हैं. ऐसे सभी बिलों का भुगतान वैभव और हिमांशी की कंपनी सनलाइट कार रेंटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को किया जाता है.
जोधपुर के NRI डॉक्टर के जरिए हो रहा खेल -मीणा ने कहा कि ब्लैक मनी का पूरा खेल जोधपुर के एक NRI डॉक्टर के जरिए हो रहा है. पहले यहां से हवाला के जरिए पैसे मॉरीशस भेजे जाते हैं और फिर उसी पैसे को फर्जी कंपनी शिवनार होल्डिंग्स लिमिटेड के नाम से यहां निवेश किया जाता है. इस कंपनी में सीएम गहलोत के परिवार के सदस्यों के नाम हैं. मीणा ने आरोप लगाया कि सीएम गहलोत ने अपनी सरकार के समय में 'ट्राइटन होटल एंड रिसोर्ट प्राइवेट लिमिटेड' कंपनी को फेयर माउंट होटल के निर्माण की स्वीकृति जेडीए की ओर से नवंबर 2009 में दी गई थी. भाजपा सांसद ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत कई बार कहते हैं कि खलक की आवाज खुदा की आवाज होती है, आज उसी खलक की आवाज को जनता के बीच में रखा है. इसमें साफ दिख रहा है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने किस तरह से काली कमाई को सफेद किया है.
चारागाह भूमि पर कब्जा, बंजारों को किया बेदखल -इसके साथ ही मीणा ने कहा कि पांच सितारा होटल ट्राइटन फेयर माउंट का निर्माण केवल 15 प्रतिशत भूमि पर हुआ था, लेकिन रतनकांत शर्मा सीएम गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के साथ मिलकर राजनीतिक रसूख का दुरुपयोग करते हुए होटल का निर्माण पूरी जमीन पर करवाया. इतना ही नहीं वहां सालों से महिला, बच्चों सहित रह रहे बंजारा परिवारों को जबरन मारपीट कर खसरा नंबर 204 की चारागाह भूमि से बेदखल करने की कोशिश की गई, ताकि वहां भी अवैध रूप से होटल की नई बिल्डिंग का निर्माण हो सके. वहीं, जयपुर विकास प्राधिकरण के अफसरों की ओर से भी गैरकानूनी नोटिस देकर इस भूमि को नाले की भूमि से बंजारों को बेदखल करने की कोशिश की गई, जबकि जमाबंदी अनुसार वहां कोई नाला नहीं है, लेकिन गहलोत सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपने होटल से गैरकानूनी वित्तीय लाभ के लिए बंजारों के परिवार को बेदखल किया जा रहा है.