जबलपुर में मात्र डेढ़ रुपए किलो में बिक गया हरा मटर, लोगों ने की जमकर खरीदारी, फसल ने किसानों के निकाले आंसू - मटर ने किसानों को किया बर्बाद
Jabalpur Green Peas Price Down: जबलपुर में प्रदेश की सबसे बड़ी मटर की मंडी है. लेकिन उसके बाद भी यहां किसान बेहद ही कम दाम में मटर बेचने को मजबूर हैं. जबलपुर में डेढ़ रुपए प्रति किलो में मटर बेचा जा रहा है. मटर के सस्ते दामों को देखकर ग्राहक बाजार में उमड़ पड़े और जमकर खरीदारी कर रहे हैं. वहीं किसान परेशान हैं, मटर की फसल उनके लिए बर्बादी का सबब बन गई. पढ़े ईटीवी भारत के जबलपुर से संवाददाता विश्वजीत सिंह की खास रिपोर्ट...
जबलपुर। किसी की परेशानी किसी को मौका देकर चली जाती है. बंपर उत्पादन की वजह से मध्य प्रदेश के जबलपुर में हरी मटर किसानों के लिए समस्या बन गई है. वहीं, जबलपुर के लोग मात्र डेढ़ रुपए किलो में इस मटर को खरीद कर न केवल खा रहे हैं बल्कि अपने रिश्तेदारों को भी गिफ्ट कर रहे हैं. महंगाई के इस दौर में डेढ़ रुपए किलो का मटर सुनकर ही लोगों को आश्चर्य हो रहा है. लेकिन जबलपुर में बीते दो दिनों से डेढ़ रुपए किलो मटर बिक रहा है.
डेढ़ रुपया किलो का मटर: जबलपुर के आईटीआई इलाके में रहने वाली प्रमिला सराठे इस बात से खुश नजर आ रही हैं कि बाजार में ₹30 किलो बिकने वाला मटर उन्हें मात्र रुपया किलो में मिल गया. उन्होंने 70 किलो की एक बोरी को मात्र ₹100 में खरीदा. प्रमिला का कहना है कि इतना अधिक मटर खुद इस्तेमाल नहीं करेंगे, कुछ अपने रिश्तेदारों में बांट देगी. प्रमिला सारठे जैसे सैकड़ों लोग बीते दो दिनों से डेढ़ रुपए और ₹2 किलो में मटर खरीद रहे हैं.
लोगों ने जमकर खरीदा मटर
ऐसी स्थिति क्यों बनी:सामान्य तौर पर जबलपुर की कृषि उपज मंडी में ₹10 से ₹15 किलो तक सीजन पर मटर बिकता है. लेकिन बीते चार दिनों से स्थिति बहुत खराब है. पहले केवल जबलपुर जिले में ही मटर होता था लेकिन इस साल जबलपुर के आसपास नरसिंहपुर दमोह यहां तक की सागर में भी मटर की बोनी हुई है और सभी जगह एक साथ मटर की फसल तोड़ी जा रही है. इसकी वजह से जहां जबलपुर में रोज लगभग 500 ट्रक मटर आता था. वहां लगभग 1000 ट्रक मटर आ गया, इसकी वजह से बड़ी समस्या खड़ी हो गई.
व्यापारी भी फंसे:जबलपुर से मटर उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल तक जाता है. अयोध्या के सब्जी व्यापारी मोहम्मद गुफरान ने हमें बताया कि ''वह 6 महीने जबलपुर से मटर का व्यापार करते हैं. जबलपुर से मटर खरीदने हैं और उत्तर प्रदेश की मंडियो में भेजते हैं. उन्होंने अच्छी क्वालिटी का ₹2,00,000 का मटर खरीदा था. उन्हीं की तरह जिन लोगों को जितनी जरूरत थी उन व्यापारियों ने अपनी क्षमता के अनुसार माल खरीद लिया था. लेकिन मंडी में 2 गुना माल था इसकी वजह से खराब माल नहीं बिक पाया और किसानों ने मंडी के दरवाजों पर जाम लगा दिया. किसानों के इस आंदोलन की वजह से जबलपुर में व्यापारियों का करोड़ों का माल बर्बाद हो गया.
मटर की सस्ती कीमतों के चलते बोरियां भरकर ले गए लोग
हजारों क्विंटल मठर बर्बाद: वहीं, किसानों को भी लाखों रुपए की चपत लगी है, हालांकि आंदोलनकारी किसानों को मनाने के लिए सरकार ने उन्हें ₹700 प्रति क्विंटल का मुआवजा देने की बात कही है. पाटन से आए राजीव कुमार नायक ने बताया की वे भी 35 बोरा मटर बेचने आए थे लेकिन उनका मटर खराब हो गया. अब इसे वापस लेकर जा रहे हैं. मंडी बोर्ड ने उन्हें एक रसीद दी है जिसमें यह कहा गया है कि पटवारी मौके पर तस्वीर करेंगे. उसके बाद उन्हें ₹700 प्रति क्विंटल के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा. किसाने और व्यापारियों की समस्या का फायदा आम आदमियों को हुआ और जबलपुर के आसपास के लोगों ने एक से ₹2 किलो में जमकर मटर खरीदा. हालांकि हजारों क्विंटल माल बर्बाद भी हो गया जिसने पानी छोड़ दिया और अब इसे फेंकने की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.
भोपाल में आसमान छू रही आटे की कीमत: एक तरफ जहां मटर की गिरती कीमतों ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें ला दी हैं. उनके लिए मटर की लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ अन्य फसलों की कीमतों से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. शिवपुरी में इस साल टमाटर का जोरदार उत्पादन हुआ है. जिससे किसानों को भी अच्छा फायदा हो रहा है. शिवपुरी का टमाटर अन्य राज्यों में भी भेजा रहा है. वहीं एमपी में आटा,दाल और गेहूं के दाम बढ़ गए हैं. भोपाल में तो आटे की कीमत आसमान छू रही है. ब्रांडेड आटा 46.8 प्रति किलो ग्राम में बिक रहा है. व्यापारियों का कहना है कि गेहूं की सप्लाई कम होने के चलते आटा महंगा हुआ है.