भोपाल। क्या सरकारें भावनाओं पर चलती हैं. मध्यप्रदेश के इंदौर में 36 जिंदगियां लील जाने वाली बावड़ी के मामले में तो यही दिखाई दे रहा है. पहले स्थानीय जनता के गुस्से और सिस्टम सख्त है कि तस्वीर दिखाने मंदिर के अवैध निर्माण को गिरा दिया गया, बावड़ी भर दी गई. अब जब अपनी पार्टी के नेता ने सवाल उठाए, जनता का दबाव आया तो भूल सुधार के अंदाज में अब गिराए गए मंदिर की जगह पर शिवराज सरकार 42 लाख रुपए की राशि से नया मंदिर खड़ा करने जा रही है. जो बावड़ी पूर दी गई थी, उसे बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की नाराजगी के बाद बावड़ी भर देने के फैसले को भी पलट दिया गया. सीएम शिवराज ने कहा कि ''प्राचीन कुओं-बावड़ियों को जलस्रोतों के रूप में उपयोग किया जाएगा. उन्हें सुरक्षित-संरक्षित कर इनका उपयोग किया जाएगा.'' इंदौर में हुए मंदिर हादसे पर शिवराज सरकार के यू टर्न के बाद कांग्रेस सवाल पूछ रही है कि ''क्या ये कुंए, बावड़ियों के अतिक्रमणकारियों को प्रोत्साहित करने की योजना है.''
पहले अवैध निर्माण गिराया, अब वहीं बनेगा मंदिर:इंदौर में मंदिर हादसे में हुए 36 लोगों की मौत के बाद सरकार के फैसले हर दिन बदल रहे हैं. पहले शिवराज सरकार ने इस पूरे मामले में सख्ती दिखाते हुए अवैध अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कड़े तेवर दिखाए. कलेक्टरों के साथ मंत्रियों को भी अपने निर्वाचन क्षेत्र में खुले कुएं बावड़ियों की जांच के निर्देश दिए. लोगों की नाराजगी देखते हुए अवैध निर्माण गिराने में भी देर नहीं की गई. ये संदेश भी हाथ के हाथ दे दिया गया कि शिवराज सरकार ने अतिक्रमण कारियों के मंसूबे ध्वस्त कर दिए. लेकिन अब सरकार ने उसी जगह मंदिर निर्माण कार्य के लिए 42 लाख रुपए की राशि आवंटित की है. इस दलील के साथ कि लोगों की भावनाएं हैं कि वहां मंदिर बनें. असल में मंदिर गिराए जाने से लोग नाराज थे. सीएम शिवराज का बयान आया कि पुरातन मंदिर था, लिहाजा उन्हें ये उचित लगा कि वहां फिर से मंदिर की स्थापना हो ताकि लोग पूजा पाठ कर सकें. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या चुनावी साल में सरकार ने एक खास वर्ग के वोट खिसकने के डर से यू टर्न लिया गया.