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न्यू ईयर पर होटल नहीं होम स्टे का लीजिए मजा, भारत को जानने का मिलेगा मौका - Madhya Pradesh Tourism Board

Tribal Culture And Rural Environment: न्यू ईयर पर होटल नहीं बल्कि आदिवासी कल्चर के बने होम स्टे का मजा लीजिए, इससे आपको भारत को जानने का मौका मिलेगा.

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न्यू ईयर पर होटल नहीं होम स्टे का मजा

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 17, 2023, 11:00 AM IST

छिंदवाड़ा। आप भी घूमने के शौकीन हैं और नए वर्ष में घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आदिवासी अंचलों के होम स्टे आपके लिए सबसे अच्छी डेस्टिनेशन साबित हो सकते हैं. देश और दुनिया को आदिवासी संस्कृति और ग्रामीण परिवेश से रूबरू करने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश टूरिज्म विभाग द्वारा होम स्टे योजना शुरू की गई, जिसके चलते छिंदवाड़ा के तामिया अंचल के बाद अब देवगढ़ में भी होम स्टे तैयार हो रहे हैं. इससे भारतीय संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलता है तो वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं.

न्यू ईयर में शुरू किए जाएंगे 8 होम स्टे

न्यू ईयर में शुरू किए जाएंगे 8 होम स्टे:मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड की ओर से छिंदवाड़ा के देवगढ़ में बन रहे होम स्टे का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर है, नव वर्ष के शुरुआती दिनों में यह होम स्टे पर्यटकों के लिए खोल दिये जायेंगे. होम स्टे खुल जाने से देवगढ़ घूमना और प्रकृति के बीच रात रुकना आसान हो जायेगा. जिला पुरातत्व, पर्यटन व संस्कृति परिषद के नोडल अधिकारी बलराम राजपूत ने बताया कि कलेक्टर मनोज पुष्प व जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पार्थ जैसवाल के कुशल मार्गदर्शन में जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने व पर्यटकों को सुविधाए देने की गतिविधियां संचालित की जा रहीं हैं. इसी कड़ी में मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने जिले के विकासखंड मोहखेड़ के ग्राम देवगढ़ में 8 होम स्टे मंजूर किए थे, जिनका जुलाई माह में भूमिपूजन किया गया था. इसमें से कुछ होम स्टे बनकर तैयार हो गये हैं और यह होम स्टे नये साल के शुरुआती दिनों में खोले जायेंगे.

आलीशान किला और सैंकड़ो बावड़ी यहां की पहचान

आलीशान किला और सैंकड़ो बावड़ी यहां की पहचान:बलराम राजपूत ने बताया कि देवगढ़ में जंगल-पहाड़-नदी के साथ ही गोंड शासन काल का आलीशान किला भी है, साथ ही सदियों पुरानी बावड़ियां भी देखने योग्य हैं. देवगढ़ के पास अद्भुत लिलाही जलप्रपात भी है, अभी तक पर्यटकों के रुकने की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को देवगढ़ से वापस आना पड़ता था, लेकिन मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड की होम स्टे योजना का लाभ मिल जाने से 8 होम स्टे बन रहे हैं, जिससे देवगढ़ में रुकना आसान हो जायेगा. गांव में पर्यटकों के रुकने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी, पहले चरण में 3 होम स्टे पर्यटकों के लिए उपलब्ध होंगे. इसके बाद आने वाले कुछ दिनों में सभी उपलब्ध हो जायेंगे.

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देवगढ़ में 900 बावड़ी और 800 कुएं का इतिहास:देवगढ़ का किला व उसके आसपास 900 बावड़ी और 800 कुएं है, जिन्हें तत्कालीन शासकों ने बनवायें थे. अभी तक 46 बावलियों और 12 कुओं की खोज की जा चुकी है. जिला प्रशासन ने मनरेगा के अंतर्गत प्रथम चरण में 29.18 लाख रूपये की लागत से 7 बावलियों का जीर्णोध्दार कार्य किया है तथा दूसरे चरण में 79.35 लाख रूपये की लागत से 14 बावलियों का जीर्णोध्दार कार्य किया जायेगा. इस काम से जहां मनरेगा के अंतर्गत मजदूरों को काम मिल रहा है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो रही है, वहीं देवगढ़ की जल संरचनायें सुधरने से इस क्षेत्र में जल संरक्षण की दिशा में एक उल्लेखनीय कार्य होगा जिससे भविष्य में खेती करने में मदद मिलेगी और पीने के लिये भी पानी की उपलब्धता रहेगी.

देवगढ़ में 900 बावड़ी और 800 कुएं का इतिहास

होम स्टे को मिल चुका है अंतरार्ष्ट्रीय अवार्ड:जिला पुरातत्व, पर्यटन व संस्कृति परिषद के नोडल अधिकारी बलराम राजपूत ने बताया कि मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड के माध्यम से सावरवानी को पर्यटन ग्राम के रूप में विकसित किया गया है और इसे विश्व स्तर पर इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म (आईसीआरटी) के रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म अवॉर्ड्स के लिए चुना गया था. यह अवार्ड समारोह 30 सितम्बर को दिल्ली में होटल लीला पैलेस में हुआ था, जिसमें कई देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था.

देवगढ़ में आदिवासी संस्कृति की झलक

आदिवासी संस्कृति, मिलेट का भोजन खास:लोकल खान-पान आदिवासी संस्कृति, और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर आदिवासी अंचल के आसपास के पहाड़ और जंगल आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. देशी तरीके से चूल्हे में पकाया गया खाना गांव की आदिवासी संस्कृति के तरीके से मेहमान का स्वागत और खास तौर पर आदिवासी गांव में होने वाले डांस यहां की खासियत है, जो लोगों को काफी पसंद आता है.

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