दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

MP Tiger: बाघों की सुरक्षा पर संकट, प्रदेश में 45 दिनों में हो चुकी है 9 टाइगर की मौत

कहने को देश के दिल यानी एमपी को टाइगर स्टेट का दर्जा दिया गया है. बावजूद इसके यहां पर अब टाइगरों की सुरक्षा पर संकट मंडरा रहा है. एक ओर प्रदेश में जहां सर्वाधिक बाघ हैं वहीं दूसरी ओर सबसे अधिक बाघों की मौत भी मध्यप्रदेश में ही हुईं हैं.

mp highest number of tiger deaths
प्रदेश में 45 दिनों में हो चुकी है 9 टाइगर की मौत

By

Published : Feb 21, 2023, 7:06 PM IST

भोपाल। टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश में बाघों के तमाम सुरक्षा उपायों के दावों के बीच टाइगर की मौत का सिलसिला जारी है. प्रदेश में लगातार बाघों की मौत या शिकार की घटनाएं चिंताजनक होती जा रही हैं. साल 2022 के मुकाबले इस साल भी बाघों की मौत के आंकड़ा कम होते दिखाई नहीं दे रहे है. प्रदेश में पिछले 46 दिनों में 9 बाघों की मौत हो चुकी है. सबसे दर्दनाक तस्वीर दिसंबर माह में फंदे पर झूलते बाघ की सामने आई थी. जिससे फिर सवाल खड़ा हो गया कि प्रदेश के जंगलों में शिकारी सक्रिय हैं.

MP: पन्ना में टाइगर ने लगाई फांसी! पेड़ से लटका मिला शव, देश का पहला मामला

प्रदेश के जंगलों में शिकारी सक्रियःपिछले 11 सालों में मध्यप्रदेश में 279 बाघों की मौत हुई है. साल 2022 में प्रदेश में 34 बाघों की मौत हुई थी. जबकि 2022 की गणना में मध्यप्रदेश में 526 बाघ पाए गए थे. वहीं कर्नाटक में 524 बाघ पाए गए थे. यानी मध्यप्रदेश से वहां सिर्फ 2 कम थे. मध्यप्रदेश के मुकाबले कर्नाटक में बाघों की मौत या फिर शिकार के मामले करीबन आधे हैं. एनटीसीए के मुताबिक मध्यप्रदेश में पिछले साल 34 बाघों की मौत हुई. जबकि कर्नाटक में 15 बाघों की मौत हुई थी. वन्य जीव विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता जंगलों में शिकारियों के सक्रिय होने से इंकार नहीं कर रहे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे कहते हैं कि जंगलों में बिजली के तार बिछाकर टाइगर को मारा जा रहा है. विभाग इन पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा है.

पिछले 10 सालों में प्रदेश में 270 बाघों की मौतः पिछले दस सालों के बाघों की मौत का आंकड़ा देखा जाए तो देश में सबसे ज्यादा बाघों की मौत मध्यप्रदेश में ही हुईं हैं. मध्यप्रदेश में 2012 से 2022 के बीच 270 बाघों की मौत हुई है. अभी तक के आंकड़ों को मिला लिया जाए तो बाघों की मौत का यह आंकड़ा 279 हो गया है. मध्यप्रदेश के बाद महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है. जहां पिछले दस साल में 184 बाघों की मौत हुई है. इसके अलावा कर्नाटक में 150, उत्तराखंड में 98 और असम में 71 बाघों की मौत हुई है.

वर्चस्व की लड़ाई में टाइगर कि मौत, बालाघाट में बढ़ रही बाघों की संख्या

इस साल एमपी में हुई बाघों की मौतःसाल 2023 में प्रदेश में 15 फरवरी तक 9 बाघों की मौत हुई है. यह आंकड़ा आने वाले दिनों बढ़ भी सकता है. ऐसी आशंका जतायी जा रही है कि बाघों को करेंट लगाकर भी मारा जाता है.

  1. 4 फरवरी को उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के घुनघुटी वन परिक्षेत्र के बलवाई बीट में बाघ का शव मिला था.
  2. 3 फरवरी को कान्हा टाइगर रिजर्व में एक बाघ की मौत हुई थी.
  3. 31 जनवरी को मंडला पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ का शव मिला था.
  4. 24 जनवरी को शहडोल के मैदानी इलाके और कान्हा टाइगर रिजर्व में बाघ का शव मिला था.
  5. 12 जनवरी को जमली, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघ का शव मिला था.
  6. 11 जनवरी को सिवनी के मैदानी इलाके में बाघ का शव मिला था.

क्या कहते हैं विशेषज्ञःरिटायर्ड आइएफएस अधिकारी सुदेश बाघमारे बाघों की मौत की एक वजह प्रदेश के जंगलों में क्षमता से ज्यादा बाघों की संख्या बताते हैं. वे कहते हैं कि युवा बाघ अपनी अलग टेरेटरी बनाता है और इस दौरान बाघों में आपसी संघर्ष उनकी मौत की एक वजह बनती है. वहीं जंगलों के आसपास इंसानी गतिविधियों के चलते भी ऐसी स्थितियां बन रही हैं. जहां लोग बाघों से बचने खेत के आसपास करंट के तार लगा देते हैं. हालांकि वन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोगों को समझाइश भी दी जाती है. वे शिकारियों की सक्रियता से भी इंकार नहीं करते.

ABOUT THE AUTHOR

...view details