शाजापुर।जिले की कालापीपल तहसील मुख्यालय से महज 9 किमी दूर ग्राम ग्राम देवराखेड़ी में बारिश के दिनों में ग्रामीणों को रस्सी के सहारे जान जोखिम में डालकर नाले को पार करना पड़ता है. स्कूली बच्चे भी अपना भविष्य संवारने के लिए इस नाले को पार करके स्कूल जाते हैं. इन तस्वीरों को देखकर आप भी विचलित हो सकते हैं, किस तरह से रस्सी के सहारे नाले को पार किया जा रहा.गांव देवराखेड़ी में लगभग 200 लोगों की आबादी है, लेकिन आज तक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है.
शाजापुर छात्रों की जोखिम में जान शिक्षा के लिए संघर्ष: शाजापुर के ग्राम आलनिया से देवराखेड़ी पहुंचने वाले मार्ग की दूरी 2.5 किलोमीटर है. यह दूरी तय करना किसी जद्दोजहद से कम नहीं है. गांव के बच्चों को कीचड़ भरे रास्तों से गुजरना पड़ता है. इसके बाद गांव के समीप ही पड़ने वाले नाले से जान जोखिम में डालकर जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ते हुए रस्सी के सहारे नाले को पार करना पड़ता है. ग्रामीण बच्चों और बुजुर्गों को रस्सी के सहारे पीठ पर सवार करके नाला पार कराते हैं.
शाजापुर छात्रों की जोखिम में जान गांव से बाहर जाने के लिए मुसीबत का सामना: जब अधिक बारिश होती है तो कई दिनों तक बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. आवश्यक सामान की खरीदी के लिए ग्रामीणों को गांव से बाहर जाने के लिए भी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया गांव में जब भी कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो उस मरीज को खटिया पर लिटा कर ले जाना पड़ता है. गर्भवती महिला को पहले ही गांव से बाहर भेज दिया जाता ताकि बारिश में किसी तरह की परेशानी न हो.
खतरों के बीच बच्चों का स्कूल जाने का जज्बा: जिले के आदिवासी क्षेत्र राजाबरारी में कई गांव के स्कूली बच्चे रोज खतरों के बीच गंजाल नदी को पार कर स्कूल पहुंचते हैं, इस इलाके के मारपाडोह, महगांव, सालय, साहबनगर, टेमरूबहार, मोगराढाना जैसे करीब 12 गांव के 70 से ज्यादा स्कूली बच्चे बोरी गांव के सरकारी हायर सेकंड्री स्कूल में पढ़ने जाते हैं. बीच में पहाड़ी गंजाल नदी का रपटा पड़ता है, जो बारिश के समय में डूब जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि, "गांव से बाहर जाने के लिए यही एकमात्र रास्ता है."
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ग्रामीणों की नदी पर रपटा बनाने की मांग: ग्रामीणों ने बताया कि, "यहां बने रपटे पर ना तो रेलिंग है और ना ही किसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था. क्षेत्र के ग्रामीण और बच्चे रोज इसी तरह नदी पार करते हैं. पुल बनाने को लेकर ग्रामीण कई बार मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक इस मामले पर किसी ने सुध नहीं ली है." एक तरफ जहां लोगों के लिए अपनी जान को जोखिम में डालना उनकी मजबूरी हो गई है, तो वहीं स्कूली बच्चों का जज्बा हर रोज उन्हें प्रेरित करता है." (Harda Student Risking Life)