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MP हलाली डैम के बैक वाटर में बैरसिया के 60 गांव तबाह, जल समाधि की तैयारी में ग्रामीण

भोपाल से सिर्फ 40 किलोमीटर दूर बैरसिया तहसील में हलाली डैम का बैक वाटर कहर बनकर यहां के करीब 60 गांवों पर टूटता है. हजारों एकड़ में खड़ी धान की फसल बर्बाद हो गई है, लेकिन अब तक प्रशासन यहां सर्वे के लिए नहीं पहुंचा. 2017 में ऐसी ही तबाही में इन लोगों को आखिरी बार मुआवजा मिला था, उसके बाद से मुआवजा भी नहीं मिला. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने अबकी बार नहीं सुनी, तो जल समाधि ले लेंगे.

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Published : Aug 26, 2022, 7:27 AM IST

भोपाल। भोपाल से महज 40 किलोमीटर दूर बैरसिया तहसील में भैंसखेड़ा, चौपड़ा, पिपलिया कदीम, सुकलिया ऊंटखेड़ा, बर्री बगराज ये चंद नाम हैं, लेकिन पचास के ऊपर हैं ऐसे गांव जो बीते दिनों एमपी में आई आसमानी आफत से अब भी नहीं उबर पाए हैं. दो दिन की मूसलाधार बारिश ने इनकी हजारों एकड़ में फैली फसल ही नहीं, घर को भी तबाह कर दिया है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ, 2006 से लगातार ये लोग बरसात के साथ इस अग्निपरीक्षा से गुजरते हैं. लेकिन ये साल पहला था कि जब बरसात के पानी ने इनके घरों का रास्ता देख लिया और तबाही घर तक आ गई. वजह केवल बारिश नहीं, इन गांवों में हर बार डैम का बैक वॉटर बर्बादी की वजह बनता है. हर बार सरकार की तरफ से भरोसा दिलाया जाता है कि ये तबाही रोकी जाएगी, लेकिन हर साल यही कहानी होती है.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

जुगाड़ की नाव से गांव तक पहुंचने का सहारा:राजधानी से लगे होने के बावजूद इन गांवों की प्रशासन ने सुध नहीं ली. गांव तक पहुंचने का हर रास्ता पानी से लबालब है. गांववालों ने ही अपने जुगाड़ से नाव जुटाई और इसी के सहारे अब गांव से शहरों को जोड़ने वाले रास्ते तक ये लोग आते हैं. तीन दिन तक अंधेरे में रहे इन गांवों में दिन ढलते ही आवाजाही भी बंद हो जाती है. गांव से बाहर निकलने का मतलब जान का जोखिम उठाना है.

बैरसिया के 60 गांव तबाह

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न सर्वे हुआ न मिला मुआवजा : राजधानी भोपाल से सटे हुए हैं ये गांव. हजारों एकड़ में खड़ी इनकी धान की फसल बर्बाद हुई है, लेकिन अब तक प्रशासन यहां सर्वे के लिए नहीं पहुंचा. 2017 में ऐसी ही तबाही में इन लोगों को आखिरी बार मुआवजा मिला था. उसके बाद से मुआवजा भी नहीं मिला. इस बार तो डैम के बैक वॉटर ने इनकी खेतों पर ही पानी नहीं फेरा घर भी तबाह कर दिए हैं. जो फसल बेचने और बुआई के लिए रखी थी वो भी पानी में बह चुकी है.

हलाली डैम के बैक वाटर में डूबा घर

सरकार ने अबकि नहीं सुनी तो जल समाधि ले लेंगे:भैंसखेड़ा गांव के बुज़ुर्ग महेश भार्गव पिछले कई सालों से ये तबाही देख रहे हैं. दुखी होकर कहते हैं- " ये डैम लील गया हमें. हर दो-चार साल में इन गांवों के किसानों की खेती डूब जाती है. ये तालाब देख रही हो आप. इसमें मेरे गांव के एक-एक किसान का पसीना बोया था. मेरा अपना दो लाख का नुकसान हुआ है. इस बार तो घर भी बर्बाद हो गए. ढह गए पानी भर गया. सरकार कितनी दूर है इन गांवों से और कितना डूबने के बाद होगी सुनवाई या जलसमाधि ले लेंगे तब सरकारी लोग देखने आएंगे".

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सरकार भूमिअधिग्रहित करके मुआवजा दे :गांव के ही बारेलाल साल दर साल गिनाते जाते हैं. 2006 फिर 2009 उसके बाद 2012, 2016 और अब 2022 जैसा कहर तो कभी टूटा ही नहीं. "इस बार तो पानी घरों में भी घुस गया. हम अपना घर छोड़े बैठे हैं, क्योंकि पानी भरे घर में सांप निकल रहे हैं. खाने के लिए जो अनाज बचाया था सब सड़ गया. खेत तो कहीं दिख जाए तो आप देख लो. पानी ही पानी है हर तरफ. हमारी एक ही मांग है सरकार हमारी भूमि अधिग्रहित करे और हमें मुआवजा दे. इससे कम अब हमें कुछ मंजूर नहीं. इस हलाली डैम से बहुत हलाल हुए हैं अब तक".
(Berasia Bhopal) (ETV Bharat Ground Report)(MP Heavy Rain )

डूब गया ग्रामीणों का घर, सब कुछ तबाह

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