छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश में जिन अतिथि शिक्षकों के धरने में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ सरकार के खिलाफ सड़कों पर आ जाने का दम दिखाया था. साल 2020 में एमपी के इतिहास का सत्ता पलट हुआ. इन अतिथि शिक्षकों के धरने ने एमपी में सत्ता तो बदलवा दी, लेकिन इन शिक्षकों के हालात नहीं बदल पाए. छिंदवाड़ा में अतिथि शिक्षक आजीविका चलाने मनरेगा में मजदूरी को मजबूर हो गए हैं. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती तो सड़कों पर आकर आंदोलन करना पड़ेगा.
पिछले 4 महीने से नहीं मिला वेतन: आजाद स्कूल अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव संतोष कहर ने बताया कि पिछले 4 महीनों से अतिथि शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है. हालात ऐसे हैं कि कई अतिथि शिक्षकों के घर में रोजी की रोटी के लाले पड़ गए हैं. मजबूरन अतिथि शिक्षकों को या तो मजदूरी करना पड़ रहा है या फिर मेकेनिक की दुकान में काम से लेकर कुछ लोग सड़क में घूम कर अगरबत्ती भी बेच रहे हैं. पांढुर्ना के रहने वाले श्रीपत पवार की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब वेतन नहीं मिला तो मजबूरी में उन्होंने मैकेनिक की दुकान में काम शुरू कर दिया. वहीं सौसर के बंडू गोलाइत दूसरे के घरों में मजदूरी करने को मजबूर हैं. पांढुर्ना के प्रमोद तहकीत सड़कों में घूम-घूमकर अगरबत्ती बेच रहे हैं, ताकि उनके परिवार का भरण-पोषण हो सके.
2007 से शुरू हुई अतिथि शिक्षक व्यवस्था:मध्य प्रदेश सरकार ने अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था 2007 से शुरू की थी, ताकि स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधर सके और अतिथि शिक्षकों को कई बार नियमित करने का वादा भी किया जा चुका है, लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार नहीं आया है. ऊपर से अब वेतन के लिए भी अतिथि शिक्षकों को परेशान होना पड़ रहा है. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से अब दुकानदार भी उन्हें रोजमर्रा की वस्तुएं उधार नहीं दे रहे हैं. जिसकी वजह से कई बार उनके घरों में चूल्हा भी नहीं जल पा रहा है.